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“पढ़े तो पढ़े कैसे??????”

SUBODHA
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कुछ बच्चे पढ़ना चाहते हैं ,पर पढ़ नहीं पाते;कुछ पढ़ना नहीं चाहते,जबकि उनके पास सब संसाधन उपलब्ध हैं और कुछ भारत के मंगल यान की तरह कम संसाधन में भी अच्छा पढ़ लेते हैं |
देश में योग्यता की कोई कमी नहीं ,पर जनसख्या के अनुसार बहुत कमी है ,आज के इस दौर में हर घर में एक इंजीनियर ,डॉक्टर(यदि डिग्री न भी हो ,तो हर विषय की उचित समझ होनी चाहिए ) होना चाहिए,तो शायद देश की अलग शान होती ,पर आज के इस परिवेश में पढ़ना कठिन ही नहीं ,असंभव सा है |
पढ़ाई मात्र पैसों से नहीं ,एकाग्रता और चेतना से होती है ,मैंने पहली बार ९ वीं कक्षा में पहुंचकर मैथ ,साइंस की कोचिंग शुरू की और वह भी एक विषय के ५० रुपये के मासिक शुल्क में(एक विषय का सारा पाठ्यक्रम ,४-५ माह में पूर्ण हो जाता था ) ,आज महानगरों के कोचिंग संस्थानों में १० वीं के छात्र ४७००० -५०००० रुपये शुल्क देते हैं और मैथ की प्रॉब्लम उनसे सॉल्व नहीं होती,कोचिंग संस्थान मात्र दोस्ती और अठखेलियों के अड्डे बन गए ,जिसका एक बार नाम बिक गया ,सारे छात्र उसी कोचिंग संस्थान की ओर दौड़ते हैं |उन्हें लगता वहाँ दिए गए नोट्स से वह टॉपर बन जायेंगे,पर जब एग्जाम में उसमे से कुछ नहीं आता ,तो हताशा और निराशा ही छात्रों के हाथ लगती है |
आजकल छात्र भले ही पढ़ने में होशियार न हो ,पर उत्तर -प्रतिउत्तर में बहुत अग्रणी हैं |
इन सबके बीच में भी बहुत से ऐसे भी होंगे,जो ९० % से ऊपर मार्क्स लाएंगे ,अपनी योग्यता के बल पर वही लोग देश चलाएंगे ,उन्हें आरक्षण की कभी भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी,यदि सरकारी नहीं तो खुद का धंधा शुरू कर देंगे ,पर नाम रोशन करेंगे |
नोट -यह एक महानगर का व्यक्तिगत अनुभव है ,जिसमे एक दिवस एक छात्र और छात्रा एक मैथ की छोटी प्रॉब्लम को सॉल्व करने में लगे हुए थे,मैंने उनको हस्तक्षेप किया तो उन लोगों ने एग्जाम तक कुछ पढ़ाने का आग्रह किया,मैंने कहा भाई -बहुत दिन हो गए,पर मुझे जितना आता है वह बता दूंगा ,एक दिन पूर्व वह मुझे अपना चैप्टर बता देते थे ,दूसरे दिन पढ़कर मैं उन्हें समझा देता था ,उनके पिता जी बोले -पहले से पता होता ,तो आप से ही कोचिंग पढ़ लेता,मैंने कहा इतने व्यस्त जीवन में अब इतना समय नहीं,अंकल जी |
सुझाव– छात्र ध्यान से अपने हर विषय के हर एक चैप्टर को सावधानी से पढ़े ,उसके उदाहरण देखे ,अवशय ही सब समझ में आएगा ,जहां कुछ अटके ,वहां किसी जानकार से पूछ लें |

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