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“कुत्ता”

SUBODHA
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स्वान,कुकुर,कुत्ता,डॉग,आदि -अनेक नाम,
अलग देश में ,अलग परिवेश में ,अलग नाम |
पर काम-हर पल जाग्रत,बफादार,सेवाभावी,
अपने मालिक का सदा सर्वदा शुभेक्षुक |
अपने स्वामी का ही अनुगामी,सतत रक्षक,
पालने में कोई कठिनाई नहीं,भोजन के अंतिम ग्रास से संतुष्ट हो जाता,
हाथी हर कोई नहीं रख सकता ,पर कुत्ता……..स्वतः दरवाजे पर आ जाएगा,
चौक ,चबूतरों पर बैठकर अपनी उपस्थिति का पूर्ण आभाष करायेगा |
हाँ ,यह अलग बात है ,उसका भौकना हमारे श्रवण रंध्रों को रुचिकर नहीं लगता,
पर अपनी बात रखने का उसे भी हक़ है,और उसमे में कोई न कोई सन्देश ही है,
कभी चोरों के आगमन की सूचना ,तो कभी अजनबी जातिभाई के आगमन का सन्देश,
एक के भौकने से उसके सभी मित्र एक नवागन्तुक पर ही टूट पड़ते है|
नवागन्तुक या तो अपनी शक्ति का उन सबको अहसास करा दे ,
या दुम दबाकर,खीस निपोरकर उनके भौकने को स्वीकार कर ले ,तो वह भी मित्र बन जाएगा |
शोधकर्ताओं से जाना -कुत्ते का ध्यान ,उसकी दुम पर बहुत रहता है ,
पर उसे यह आभाष नहीं ,कि उसकी दुम किसी काम की नहीं ,
न ही मलद्वार को ढक सकती है और न ही मक्खियाँ उड़ा सकती है,
कुछ मक्खियाँ उसका भोजन अवश्य बन जाती हैं |
वैसे कुत्तों की छठी इन्द्रिय बहुत सक्रिय होती है,
पर बमखोजी कुत्तों की दुम काट दी जाती है ,
ताकि वह अपना पूरा ध्यान बम खोजने में लगाएं |
कुत्ते का हर युग में विशेष स्थान रहा है,
कुत्ता ,काल भैरव का वाहन है,
दत्तात्रेय महाराज के चित्रों में २-४ कुत्ते अवश्य रहते हैं,
धर्मराज के पर्वतारोहण समय में कुत्ता भी साथ था ,
जिसे उन्होंने स्वर्ग में भी साथ ले जाने का आग्रह किया |
लोगों से सुना और समझा –
कुत्ता पालने से इंसान का स्टेटस बढ़ जाता है,
शहर में जिसके पास एक भारी कुत्ता हो,वह बड़ा आदमी समझा जाता है |
शहरी कुत्ते पालना इतना आसान भी नहीं,उन पर नित्य ५०० रुपये का खरचा है |
आजकल जिस महिला के साथ कुत्ता हो ,
उस पर कोई कुदृष्टि नहीं डाल सकता |
कुत्ता जितना जबर ,सुरक्षा उतनी अधिक |
काम वासना के कुत्ते भी कायल होते हैं,
एक मादा के पीछेे अनेक रहते हैं,
सफलता अपने ऊपर निर्भर है ,
पर प्रकृति की व्यवस्था -सभ्यता पर गौर करें,
तो उस अवस्था में दोनों नर मादा विमुख है |
उनका सम्भोग बच्चों के लिए कौतूहल का विषय है ,तो जवान के लिए मनोरंजन,
और वृद्ध के लिए नज़र झुकाकर निकल जाना |
विद्द्यार्थियों के लिए -श्वान निद्रा का हितोपदेश है,
श्वान हर वर्ण के लिए उपयोगी है,खासकर शिकारियों के लिए बहुत,
पर सावधान,साधारण कुत्ता काटे-तो रेबीज़ के ३ इंजेक्शन ,
पागल काटे ,तो १४ इंजेक्शन,तभी तो रहीम दास ने लिखा –
काटे -चाटे स्वान के दोउ भांति विपरीत |
कुत्ते की जाति-कभी -कभी अपने ही पिल्लों को खा भी जाती है |
पर मानव को किसी जीव के मारने का कोई विशेषाधिकार नहीं है,
जब तक भोजन के लिए ,वनस्पतियाँ ,फल -फूल उपलब्ध हैं |
“कोई पत्थर से न मारे इस बेचारे को,
कोई गाड़ी से न कुचले ,उस बेगाने को ” ||
” जय काल भैरव महाराज -आप की सवारी का मैंने यथाबुद्धि -यथाशक्ति वर्णन किया,भूल -चूक क्षमा करना “||

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