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“दलित-सवर्ण,छूत-अछूत या फिर शुद्ध -अशुद्ध”

SUBODHA
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हरियाणा में घटी तत्कालीन वीभत्स घटना ने देश की छवि को खराब किया है ,सवर्णो को चाहिए वह दलितों पर अत्याचार बंद करें और नेताओं को चाहिए ऐसे मुद्दों पर राजनीती न करें | महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार करने से हमारी मर्दानगी पता नहीं चलती | ब्राह्मण वह है ,जो सही बात करें ,सच का साथ थे ,कोई भी कुछ पूछे ,तो सही सुझाव दे | मेरे बाबा जी ने एक बार कहा -यदि तुमसे बैर मानने वाला भी कभी कुछ तुमसे पूछना चाहे तो हितकारी बात बताओ ,हो सकता उसे वह बात अच्छी लगी और वह तुम्हारा बैरी न रहकर मित्र बन जाये | क्षत्रिय वही है ,जो दीन -दुखियों की रक्षा करें -शरीर की ताकत को अच्छाई के लिए उपयोग करें |
मेरे अपने शोध के अनुसार छूत-अछूत ,शुद्ध -अशुद्ध के तत्सम शब्द हैं | शुद्धता और स्वच्छ्ता हर एक के जीवन में परमावश्यक हैं ,यह गुण इंसान को बहुत सी बीमारियों से दूर रखते हैं | जैसे -जैसे कोई भी इंसान शुद्ध होता जाएगा ,वह सत्य के और करीब पहुँचता जाएगा,चाहे वह दलित हो या सवर्ण |
कुछ दसक पूर्व ,जब देश में जमीदारी प्रथा थी ,तब दलितों पर अत्याचार किये गए ,उनको उनकी मेंहनत की कमाई नहीं दी गयी | जिसका परिणाम हुआ विद्रोह | उन्ही जमीदारों के परिवार में ऐसी भी संतानों ने जन्म लिया ,जिन्होंने अपने ताऊ -चाचा से अलग सिद्धांत बनाये,उन्होंने दलितों को प्रताड़ित नहीं किया ,उन्हें खेतों में काम करने के लिए विवश नहीं किया ,उन्हें उनके हिस्से से कुछ अधिक ही दिया | ऐसे ही इंसान ने अपने पुरुषार्थ के कारण दलितों के हृदय में राज किया | ८ बीघे खेत को रात्रि के अंतिम पहर में जागकर अपने बल -बूते २१ बार जोतकर,जब गेहूं की फसल कटी,तो ५० कुंतल गेहूं धरती की कोख से निकले,उनके दरवाजे से भिखारी और दलित कभी खाली हाथ नहीं लौटे और जिस दिन से शरीर त्याग दिया ,जमीदारी भी साथ ही चली गयी |
इसलिए दलितों पर अत्याचार बंद करो और उन्हें मुख्य धारा में लाओ ,तो ही भारत का गौरव जीवंत रहेगा |
जय भारत माता |

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