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“सरकार की “पहल” से,आम आदमी बेहाल”

SUBODHA
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इस बार अपने घर पहुंचकर मैंने सोचा,चलो पहल(गैस सब्सिडी ) का फॉर्म ही सबमिट कर दिया जाये | टाउन में जाकर एक दिन गैस एजेंसी ऑफिस से फॉर्म ले आया,ऑफिस की टाइमिंग की जानकारी ली | तीसरे या चौथे दिन पुनः टाउन जाना हुआ,तो सुबह ९ बजे गैस एजेंसी के ऑफिस पहुँच गया,भीड़ से बचकर सर्वप्रथम फॉर्म सबमिट करने के लिए | पर वहां का दृश्य कुछ अलग ही था ,मुझसे पूर्व ही लगभग २० सदस्य वहां पर एकत्रित थे ,अपने गैस सिलिंडर सम्बन्धी कार्यों को लेकर | सबकी अपनी -अपनी समस्या थी -कुछ लोग मोबाइल से गैस आर्डर करने में असमर्थ थे ,कुछ एक का डाक्यूमेंट्स सबमिट होने के बाबजूद डाटा फीड नहीं हो पाया था ,कुछ “पहल” की साइट से भेजे गए msg को लेकर चिंतित थे,जिसमे यह उल्लिखित था-सबमिट योर डाक्यूमेंट्स & आधार नंबर इन बैंक टू गेट सब्सिडी ,जबकि वह लोग बैंक में आलरेडी डाक्यूमेंट्स सबमिट कर चुके थे( मैंने एक से कहा यह पहल की साइट का सिस्टम जनरेटेड मैसेज हैं ,सभी के पास एक जैसा ही आता हैं जिसने बैंक में फॉर्म सबमिट किया अथवा जिसने नहीं किया ),सुनकर उसे कुछ सुकून मिला |
ऑफिस के खुलने का समय तो प्रातः ९ बजे था,पर ९:३० बजे खुला | लोगों ने ऑफिस बेयरर के आते ही उसे चक्रव्यूह में घेर कर अपने -अपने प्रश्नों की बौछार कर दी,उस क्लर्क ने सबको थोड़ा बहुत समझते हुए अपना कार्य शुरू किया | भीड़ थोड़ी शांत हुयी ,तो मैंने महोदय के पास जाकर पूछा-पहल के फॉर्म में भरा जाने वाला १७ डिजिट कंस्यूमर id नंबर चाहिए| उत्तर दिया -दोपहर में मिलेगा २-३ बजे की तरफ | शायद यह उनकी पूर्व निर्धारित योजना है कि पूर्वाह्न में क्या करना है और क्या अपराह्न में | पर मैंने वहां कुछ देर इन्तजार करना बेहतर समझा,शायद भीड़ कम हो और मेरा भी काम हो जाये |
उस अंतराल में मैंने कइयों को सुना और वास्तविकता जानने की कोशिश की,पहले , पहल के दो फॉर्म हुआ करते थे,जिनमे से एक बैंक में सबमिट करना होता था और एक गैस एजेंसी में | पर अब एक ही फॉर्म है उसे आप बैंक या गैस एजेंसी में कहीं भी सबमिट कर सकते हैं |
मोदी जी भले ही अमेरिका में हिंदी में भाषण दे ,पर पहल का फॉर्म इंग्लिश में ही भरने का प्रावधान है और उसमे भी बैंक ifsc कोड ,बहुत से लोग यह जानते ही नहीं ifsc कोड क्या होता और शायद ग्रामीण बैंक का ifsc कोड भी नहीं होता |
गांव का एक इंसान दृढ विश्वास के साथ यह कहता है,मैं तो हिंदी में ही फॉर्म भरूंगा और गैस एजेंसी ऐसे फॉर्म को रद्दी की टोकरी में डाल देती है |
गैस एजेंसी के मैनेजर से मुझे यह भी ज्ञात हुआ,सरकार ने कह दिया,जिनका फॉर्म नहीं आ पा रहा ,उसका कनेक्शन ससपेंड कर दो ,मज़बूरन गैस न मिलने पर वह renew कराएँगे अथवा सरेंडर कर देंगे,उस मैनेजर ने अब तक ८०० कनेक्शन कैंसिल किये |
इन सारी समस्याओं का निदान है-कानून का सरलीकरण और शिक्षा |
हमारे कुछ साथी एवं छोटा भाई , क़तर एयरवेज में कार्यरत हैं,जिनसे मुझे यह ज्ञात हुआ कि वहां सिलिंडर दुकान से जाकर डायरेक्ट खरीद सकते हैं और खाली सिलिंडर वहां जमा कर सकते हैं और इस देश में भी छोटे सिलिंडर ( ५ किलो तक के ) ,ओपन मार्केट में उपलब्ध हैं,पर उससे अधिक नहीं |
यदि इस देश का आम आदमी फॉर्म भरना नहीं जनता तो गैस एजेंसी अथवा बैंक ,बिना फॉर्म भरवाये हुए उसे पहल योजना से क्यों नहीं जोड़ते |
ऐसे ही बहुत से कानून हैं जिनकी असली हकीकत तब पता चलती हैं ,जब किसी गांव ,खेड़े में जाकर लोगों से सुनो |

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