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आज के समाचार पत्रों की मुख्य खबर नीति आयोग ही है | इस नीति का फुल फॉर्म भी है ,जो मुझे कल न्यूज़ देखते हुए पता चला | N.I.T.I.- NATIONAL INSTITUTION FOR TRANSFORMING INDIA. जिसका अर्थ है -भारत में नए बदलाव लाने का राष्ट्रीय संस्थान .अवश्य ही मात्र नाम ही नहीं ,पूरा ढांचा बदला जाएगा | विगत वर्ष के अंतिम माह में हमने इस पर कुछ मुख्यमंत्रियों की चर्चा भी सुनी | हमें कुछ इसके पक्ष और कुछ विपक्ष में अवश्य ही सुनना पडेगा | जहाँ तक योजना आयोग को मैंने समझा,राज्य सरकारों को अपने राज्य के विकास के लिए पैसे मिलने का कार्य योजना आयोग के द्वारा ही पूरा होता था |
संसद के पिछले शीतकालीन सत्र में हमने “आप” के नवनिर्वाचित सांसद का भाषण भी सूना ,जिसमे उन्होंने कहा,सूखाग्रस्त जमीन का मूल्यांकन क्षेत्रीय न होकर ,प्रत्येक गांव पर आधारित होना चाहिए ,क्योंकि बहुत बार गांव के एक क्षेत्र में बारिश होती और एक क्षेत्र में नहीं ,जिससे वह गांव सूखाग्रस्त घोषित नहीं हो पाता और किसान परेशान रहता है |
पिछले माह जब मैं अपने गृहजनपद गया,उसी समय हमारे प्रदेश के नव युवा मुख्यमंत्री जी ने सूखा रहत पाने के लिए कुछ ४००० करोड़ का लेखा जोखा बनाकर योजना आयोग को भेजा | समाचारों से यह भी अवगत हुआ की इन ६-७ माह में हमारे मुख्यमंत्री जी ने अपने प्रदेश के विकास के लिए कुछ ६६ पत्र लिखे ,केंद्र सरकार को |चलो इतनी चिंता तो है उन्हें अपने प्रदेश की ,वैसे प्रदेश में महोत्सव बहुत हो रहे ,जैसे लखनऊ महोत्सव ,सैफई महोत्सव | मेरे अनुभव के अनुसार ,महोत्सव ,मेले का ही विशुद्ध रूप है | भले ही प्रदेश के युवा नौकरी की तलाश में यत्र -तत्र भटक रहे हों,कोई पोलिस या मिलिट्री की भर्ती निकलने पर एग्जाम सेंटर पर पहुँचने वालों की भीड़ देखने पर हमें समझ में आता है ,हमारे पास कितनी युवा शक्ति है ,ट्रैन ,बस ,ट्रक हर जगह ,वाहन की छतो पर भी सब प्रतियोगी ही नज़र आते हैं | और यदि किसी ने किराया या टिकट के लिए पूछ दिया ,तो समझो युवा शक्ति अपना करतब अवश्य दिखाएगी | खैर………उनके पास पैसा नहीं ,पर ताकत तो है ही |
इस देश का बजट देखते हुए हमें यह समझ में आता है ,कितना पैसा है हमारे पास ,कितने हज़ार करोड़ पैसों के योजना बनती है,पर सही नीतियों के आभाव में सूखाग्रस्त किसान ,आत्महत्या को विवश है और उसका युवा बेटा ,नौकरी की खोज में भटकने को विवश है |
आज के समय की आवश्यकता है ,नीति आयोग ,और मैं इसके पूर्ण सफल होने की परम सत्ता से प्रार्थना करता हूँ | ताकि मेरे देश में कभी सूखा न पड़े और मैं चाहता हूँ ,सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में सरकार खेती करे और उन्ही किसानो से कार्य करवाकर उन्हें पैसे और अन्न दे | यदि इस देश का मज़दूर मनरेगा के अंतर्गत सड़क बना कर रोजगार पा सकता है ,तो किसान अपने खेत में कार्य करके क्यों नहीं |
इतने बड़े देश में भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए ,ऐसी नीतियों की आवश्यकता है कि आम आदमी और सरकार के बीच का कोई भी पदाधिकारी ,यादव सिंह न बनने पाये ,नहीं तो सरकार बनती रहेंगी और अन्नदाता आत्महत्या करता रहेगा |
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