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“एक कवि की व्यथा”

SUBODHA
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विगत दिवस हमने अनेक नए परिवर्तन देखे,अनेक दुखद घटनाएँ भी देखी | पिछ्ला वर्ष एविएशन सेफ्टी के लिहाज़ से भी बहुत खतरनाक साबित हुआ | ३१ दिसंबर आते -आते एक और प्लेन गायब हो गया | दिल को कितना सुकून मिलता है ,जब न्यूज़ चैनल पर नीचे लिख कर आता,नो इंडियंस ओन बोर्ड ओन दैट प्लेन,और दूसरी तरफ कितने यात्री ,बच्चे ,शिशु की गिनती देखकर मन व्यथित हो जाता है,उन यात्रियों के परिजनों का करुण विलाप सुनकर दिल दहल जाता| पर मानव कितना भी सयाना क्यों न बने,नियति बता ही देती ,वह क्या है | भले ही हम मूवीज में शंकर जी से रिक्शा चलवा दे ,शिवलिंग (ज्योतिर्लिंग-ध्यानस्थ शिव ) के पूजन का मजाक बना दें ,गाय के अग्रग्रास को तमाशा समझे | पर जब शिव का तांडव होता है,तब कोई नहीं बचता | मंत्री से संतरी तक,चीटी से लेकर हाथी तक सब ,त्राहि माम का ही उच्चारण करते हैं-चाहे कश्मीर,केदारघाटी,मुंबई की जल प्रलय हो या भुज का भूकम्प ,यह उसके तांडव का छोटा नमूना है | अतः जो किसी धर्म का तमाशा बनाकर या खुद अपने ही धर्म को बिद्रूपित कर के मनोरंजन के नाम पर देश की जनता को बरगलाने का कार्य कर रहे हैं और स्वयं १०० करोड़ के क्लब में शामिल हो रहे हैं,मुझे दया आती है उनके ऊपर,उनकी बुद्धिहीनता पर |
अतः यदि आप शिव लिंग को जानना चाहते हैं ,तो शिवपुराण अवश्य पढ़िए ,बहुत ज्ञान बढ़ेगा ,लौकिक और अलौकिक दोनों प्रकार का ज्ञान |
अब बात करते हैं गाय की,गाय प्रकृति का सबसे सीधा जीव है ,अधिक सीधे मानव की तुलना के लिए,गऊ शब्द का प्रयोग होता है | हमने अपने भोजन का प्रथम ग्रास गाय के लिए और अंतिम ग्रास कुत्ते के लिए सुनिश्चित किया है | गाय आदि पूज्य और प्रथम पूज्य है | “नृपतिदिलीपस्यगौसेवा” से ही प्रभावित होकर उनके वंश में नारायण अवतार हुआ | नन्द बाबा के पास १ लाख गायें थी,इसका तो कीर्तन ही है ,हमारे धर्म ग्रंथो में ,इसलिए जो गाय की अवहेलना करते हैं ,यह उनके दिमाग का दिवालियापन है |
अतः आवश्यक है इस देश की सोच और इतिहास को बदला जाये,हम २५ दिसंबर को सुसाशन दिवस ही मनाये | हमारा भगवान राजाधिराज है,न कि शूली पर टंगा हुआ कोई साधारण इंसान,जिसके शरीर से रक्त टपक रहा हो | हमारा भगवान योगियों की ध्यान अवस्था में उनके हृदय में प्रकट होता है,न कि उनके अंदर जो ,दिन में रोजा रहत हैं ,रात हनत है गाय |

इसी के साथ हमारे कवि हृदय पूर्व प्रधानमंत्री की एक कविता भी प्रस्तुत है ,वैसे तो विगत दिवस उन्हें हमने बहुत सूना | पर शायद यह कविता( कौरव कौन ,कौन पांडव ) अनसुनी रह गयी –

कौरव कौन कौन पांडव ,टेड़ा सवाल है |
दोनों ओर शकुनि का फैला कूट जाल है |

धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुएं की लत है,
हर पंचायत में पांचाली अपमानित है |

बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है ,
कोई राजा बने ,रंक को तो रोना है |

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