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“हनुमानबाहुक “………………क्रमशः

SUBODHA
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|| जय बजरंगी ||
उथपे थपनथिर थपे उथपनहार ,
केसरीकुमार बल आपनो सँभारिये|
रामके गुलामनिको कामतरु रामदूत ,
मोसे दीन दूबरेको तकिया तिहारिये ||
साहेब समर्थ तोसों तुलसीके माथे पर,
सोऊ अपराध बिनु बीर ,बाँधि मारिये|
पोखरी बिसाल बाँहु,बलि बारिचर पीर,
मकरी ज्यौं पकरिकै बदन बिदारिये || २२ ||

रामको सनेह ,राम साहस लखन सिय,
रामकी भगति ,सोच संकट निवारिये |
मुद -मरकट रोग -बारिनिधि हेरि हारे,
जीव -जामवंतको भरोसो तेरो भारिये ||
कूदिये कृपाल तुलसी सुप्रेम-पब्बयतें ,
सुथल सुबेल भालु बैठिके बिचारिये |
महाबीर बाँकुरे बराकी बांहपीर क्यों न ,
लंकिनी ज्योँ लातघात ही मरोरि मारिये || २३ ||

लोक -परलोकहूँ तिलोक न बिलोकियत,
तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये |
कर्म ,काल ,लोकपाल ,अग -जग जीवजाल ,
नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये ||
खास दास रावरो ,निवास तेरो तासु उर ,
तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये |
बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु -बेलि,
उपजी सकेलि कपिकेलि ही उखारिये ||२४ ||

करम -कराल -कंस भूमिपालके भरोसे ,
बकी ,बकभगिनी काहूतें कहा डरैगी |
बड़ी बिकराल बालघातिनी न जात कहि,
बाँहुबल बालक छबीले छोटे छरैगी ||
आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख,
पाप जाय सबको गुनीके पाले परैगी |
पूतना पिशाचिनी ज्यों कपिकान्ह तुलसीकी,
बांहपीर महाबीर तेरे मारे मरैगी || २५ ||

भालकी कि कालकी कि रोषकी त्रिदोषकी है ,
बेदन बिषम पाप-ताप छल-छाँहकी |
करमन कूटकी कि जंत्रमंत्र बूटकी ,
पराहि जाहि पापिनी मलीन मनमाँहकी||
पैहहि सजाय नत कहत बजाय तोहि ,
बावरी न होहि बानि जानि कपिनाँह की |
आन हनुमानकी दोहाई बलवानकी ,
सपथ महाबीरकी जो रहै पीर बाँहकी ||२६ ||

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