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भारत वर्ष ऐसा देश है,जिसने भोगवादी सोच को हमेशा नकारा है और योग को अपनाया है | वेद ,उपनिषद ,रामायण ,महाभारत ,रामचरितमानस ,गीता आदि सभी ग्रन्थ,वशिष्ठ ,विश्वामित्र ,जमदग्नि ,दधीचि,पतंजलि,अत्रि ,कश्यप,भारद्वाज,वेद व्यास ,परमहंस शुकदेव आदि महर्षि,तुलसी ,सूर ,मीरा ,कबीर,परमहंस रामकृष्ण,स्वामी विवेकानंद ,स्वामी दयानंद आदि अनेक संत,गायत्री उपासक श्री राम शर्मा ,अयंगर,कृपालु जी महाराज ,अवधूत बाबा शिवानंद,श्री रविशंकर,स्वामी रामदेव समीचीन युग पुरुष,सभी ने योग की महत्ता को जाना ,समझा और समाज को समझाया |
योग को विश्व के कोने -कोने में,देश के घर -घर में सरलता से पहुँचाने का सर्वाधिक श्रेय स्वामी रामदेव जी को ही है,भले ही आजकल वह राजनैतिक मंचों पर ही अधिक देखे जाते हों ,पर उन्होंने विदेशी सत्ताधीशों को भी अनुलोम-विलोम सिखा दिया |
पर सब कुछ जल्द बदलने की चाहत अथवा शायद वक्त की मांग भी यही थी,कि वह राजनैतिक आंदोलनों के सूत्रधार बन गए और तत्कालीन सरकार उनके दवाव में किंकर्तव्यविमूढ़ होकर उनके आंदोलन को विध्वंश करने के लिए पुलिस बल का सहारा लिया,जो उस सरकार का बहुत आत्मघाती कदम था|
आरोप तो स्वामी रामदेव और उनके ट्रस्ट के ऊपर भी कई बार लगते रहे ,जैसे उनके गुरु का सीबीआई भी पता नहीं लगा सकी, उन्होंने योग के बल बूते ही एक स्वदेशी वस्तुओं का बड़ा व्यापार भी खड़ा कर दिया,४ जून को आंदोलन के समय वह लड़कियों के कपडे भी पहनने को मज़बूर हो गए |
पर जैसे उनका योग का कार्यक्रम कुछ वर्ष पूर्व चल रहा था ,वह देश के सभी जनपदों, कस्बों में जाकर योग का कार्यक्रम कर रहे थे वह अधिक प्रेरणाप्रद था,देश का आम और खास व्यक्ति सुबह -सुबह उठकर योग करने के लिए उत्सुक रहता था,जेल में योग ,स्कूल में योग ,आर्मी में योग आदि अनेक गतिविधियों से योग ,दैवीय शब्द से सहज शब्द बन गया | इतिहास और समाज स्वामी रामदेव के इस योगदान का हमेशा ऋणी रहेगा| हमारे देश के योगी प्रधानमंत्री की कोशिश से २१ जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया ,जो कि भारत का विश्व पर बढ़ते प्रभाव का द्योतक है|
पर आज के समय की मांग यह भी है ,इस देश के टैक्सी ड्राइवर,इंजीनियर ,वकील,अध्यापक,नेता जो भोगवादी सोच से देश की गरिमा को मिट्टी में मिला रहे ,उन्हें भी योग पथ पर चलना चाहिए | एवं यदि स्वामी रामदेव जी राजनैतिक कर्तव्य पूर्ण कर चुके हो,तो पुनः इस देश के हर गांव को आदर्श ग्राम बनाने के लिए योग सप्ताह का आयोजन करना चाहिए,तो ही भारत योगगुरु बन सकता और तभी योगदिवस की महत्ता सिखर पर होगी |
||| जय भारत माता |||
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