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हमारे लोकतंत्र में जहाँ एक ओर गाली पर वहस छिड़ी हुयी है,वही दूसरी ओर भ्रष्टाचारी उजागर हो रहे हैं| वैसे गाली तो राजनीती का अभिन्न मसाला है,राम वनवास के दौरान लक्ष्मण ने कैकेयी को अपशब्द कहे,राधेश्याम रामायण के अनुसार ,”कैकेइया से जाकर कह देना,वह घी के दिए जलाये अब “,लक्ष्मण ने गंगापार जाने से पूर्व सुमन्त्र से कहा | महाभारत तो गालियों से भरा पड़ा,दुर्योधन और शिशुपाल ने भगवान को भी गाली देने से नहीं बख्शा | वैसे बात कहने -कहने का भी तरीका होता है,अभी हाल में ही चुनाव प्रचार के दौरान एक नेता ने कहा,साझे की सरकार के सौदे बहुत महंगे होते हैं,शायद यह किसी गाली से भी अधिक तल्ख़ टिप्पणी है| हमारे यहां विवाह में तो गालियां गाने का रिवाज़ ही है | इसी गाली के एनालिसिस के चक्कर में हम यादव सिंह को भूल गए | वैसे आज के समय में चाहे यादव हो या सिंह या दुबे ,चरित्र हीनता सभी में आ रही है | बांदा के एक दलित महिला पर रेप का दोषी एक दुबे ही था ,जो कि एक राजनैतिक पार्टी से भी सम्बद्ध था |
एक व्यक्ति एकबार मुझसे बोला,आप किसी भी व्यक्ति पर हमेशा विश्वास नहीं कर सकते ,इंसान ऐसा खतरनाक जानवर है ,बहुत जल्दी बदल जाता है ,हर २ मिनट पर भी अपना अलग रूप धारण कर सकता है |
महिलाएं भी इन सब कार्यों को करने में दिनोदिन स्मार्ट बन रही हैं,चाहे चोरिनी गैंग का पुलिस को चकमा देकर चोरी करना या मिस यादव सिंह का तलाक पत्र लेकर साथ में जीवन यापन करना,चाहे साथ में रहकर एन्जॉय करना और अनबन होने पर रेप में फंसा देना आदि अनेक घटनाओ से हम नित्य रूबरू हो रहे हैं |
एक तरफ बहस का मुद्दा यह भी है,मोदी के काले धन के वादे का क्या हुआ,सभी गरीब को १५-१५ लाख मिलने वाले थे | मैं तो कहता हूँ काला धन बापस भी आ जाये तो गरीब को पैसे नहीं देने चाहिए,उसे सुशिक्षा और रोजगार की महती आवश्यकता है ,न कि १५ लाख रुपये की | और यदि इस देश का यादव सिंह बुद्धिमत्ता पूर्वक धनार्जन करके गरीब को निशुल्क शिक्षा और रोजगार के नए अवसर पैदा करके उन्हें काम पर लगाये ,तो इस देश के अन्य समस्याएं स्वतः हल हो सकती हैं,पर यादव सिंह अपनी उल्टी बुद्धि चलाकर अपना बेड़ा और देश का भविष्य दोनों ही गर्क कर रहे हैं |
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