- 240 Posts
- 617 Comments
इस देश में बहुत भोले लोग रहते हैं ,जिनमे धर्म के प्रति सच्ची आस्था है और उन्हें धर्म के नाम पर आसानी से अपने आधीन किया जा सकता है | आजकल धर्म,आचार -विचार ,जप-तप,तीर्थयात्रा -उपवास आदि से अपने कर्मो को शुद्ध करने का साधन नहीं ,वरन अकस्मात और अनायास,सांसारिक भोगों(लौकिक ऐश्वर्य ) को पाने का एक सरल उपाय बन गया है | बहुत से सामान्य नागरिकों को किसी गुरु की शरण में जाने से लाभ भी होता होगा ,तभी तो उनके अनुयायिओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ती रहती है,पर मैं कभी ऐसे बाबाओं के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता | जो सच्चा बाबा है ,वह संसार से मुक्त है ,विरक्त है और ईश भजन में रमा हुआ और ईश्वर के स्वरुप में ध्यानस्थ है ,उसके इसी कार्य से अनायास ही बहुतों का कल्याण हो रहा है | मैंने स्कन्द पुराण में पढ़ा,यदि कोई एक इंसान ईश्वर का सच्चा भक्त बन जाये ,तो वह अपनी पैतृक और मातृ पक्ष की अनेक विगत और भावी पीढ़ियों का उद्धारक हो जाता है |
मुझे टीवी पर आस्था और संस्कार चैनल के माध्यम से कुछ बाबाओं को सुनने की इच्छा रहती है ,इसके दो फायदे हैं ,घर बैठे प्रवचन का लाभ और मैं किसी एक भीड़ का हिस्सा भी नहीं बनना चाहता ,इसके अतिरिक्त ,यह पूर्णतया मेरे ऊपर निर्भर है,मैं उस बाबा को कितनी देर सुनना चाहता|
ऐसे ही एक दिन मुझे आस्था चैनल पर एक जगद गुरु की उपाधि से अलंकृत एक बाबा के प्रवचनात्मक शब्द सुनायी दिए ,जो अपने वरद हस्त में देवीभागवत लेकर ,उसपर कुछ पंक्तियों पर हाईलाइट किये हुए ,अपने भक्तों को यह बता रहे थे ,देवी उपासना नहीं करनी चाहिए ,इसका विरोध सभी ने किया,मैंने उनको ५ मिनट तक सुना और अंत में मैंने सोचा -हो सकता यह महाराज -मातृ देवो भवः ,में भी विश्वास न रखते हों,वो जगद गुरु और कोई नहीं ,यही तथाकथित संत थे ,जिनकी चर्चा आजकल मीडिया में बहुत चल रही है ,उस दिन तो मैं उनका नाम न जान सका और उस दिन के सिवाय मैंने पुनः कभी उन्हें सुनने की कोशिश भी नहीं की ,पर पिछले दो दिन से उनका पूरा बायोडाटा ,पूरा देश जान रहा है ,जय जगतजननी|
धन्य है माँ ,तेरे परमहंस रामकृष्ण जैसे भक्त हुए ,जिन्हे अपनी धर्म पत्नी में भी भगवती नज़र आयी |
Read Comments