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जैसे यदि किसी के शरीर में किसी भी अंग में कुछ कमी हो जाये ,तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है ,वैसे ही यदि किसी गांव ,समाज,प्रदेश -देश में कुछ गलत घटना घटे ,तो उसका व्यापक असर होता है | अर्थात व्यष्टि और समष्टि स्तर पर घटने वाली प्रत्येक घटना,यहाँ तक कि -मष्तिष्क में उठने वाले प्रत्येक विचार भी व्यापक असर फैलाते हैं |
पर साधारण रूप से मानवीय सोच यह है कि -“मैं और मेरे” तो सेफ हैं | इंसान का “मैं और मेरे” का दायरा भी अलग -अलग होता है ,जैसे कोई इंसान पड़ोस के गांव में कुछ कार्यवश जाये और उसे अपने गांव का कोई इंसान मिल जाये तो उसे अपना खाश ही लगता है,टाउन में जाने पर पड़ोस के गांव का इंसान भी अपना लगता है,मुंबई में रहने पर उत्तर प्रदेश के इंसान को बिहार का इंसान भी अपना हमदर्द ही लगता है,और अमेरिका में रहने पर दिल्ली के लड़के को ,मुंबई के साथी से भी बहुत लगाव रहेगा|
ऐसे ही किसी घटना के बारे में सुनने से इंसान सोचता- बहुत बुरा हुआ ,पर चलो यार अच्छा हुआ ,अपना कोई नहीं था,पर यह अपना कौन है यह भी घटना के आधार पर निर्णय किया जाता है | जैसे अभी यूक्रेन के प्लेन अटैक में या मलेशिया के विमान दुर्घटना में,या किसी मंदिर की भगदड़ में आदि -आदि | ऐसे ही किसी भी अच्छी न्यूज़ का बहुत अच्छा असर होता है,जैसे -स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनकी सर्व धर्म सम्मेलन की स्पीच ने पूरे देश में एक नया माहौल बनाया ,जो कि आज तक कायम है |
पर हर एक घटना का पूरे सिस्टम और समाज पर एक बहुत बड़ा असर हुआ होगा,ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है |
जब बुराई की अधिकता हो जाती है तो प्रकृति परिवर्तन के लिए स्वतः बेचैन होने लगती है,जैसा कि पिछले कुछ वर्ष में हमने अपने देश में देखा और विश्व के बहुत देशो में भी ऐसे ही जन आक्रोश और सत्ता परिवर्तन दिखाई दिए | इस परिवर्तन के दौर में बुराई का अंत तो होता ही है,पर कुछ अच्छे लोग भी इस परिवर्तन में काल -कवलित हो जाते हैं | पूर्ण सत्य में असत्य को पराजित करने का अदम्य साहस होता है,अर्धसत्य में असत्य को पराजित करने का अल्प साहस होता है | और जब असत्य का घनघोर अन्धकार हो ,तो सत्य भी एक बार अपने आप को पराजित महसूस करता है |
देश के किसान के द्वारा आत्म ह्त्या का कदम उठाना अवश्य ही बहुत चिंतनीय है ,पर प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा ऐसा कदम उठाना उससे भी कहीं अधिक चिंताजनक और शर्मसार करने वाली घटना है|
आजकल जब ऐसा कोई बिभाग नहीं जो भ्रष्टाचार में लिप्त न हो ,ऐसे समय में भी विपरीत परिस्थियों का डटकर सामना करते हुए सत्य को मुखरित करना किसी महानता से कम नहीं,अशोक खेमका ,दुर्गा शक्ति नागपाल ,तारा सहदेव जैसी शख्सियत भविष्य में हमारे आदर्श बनेंगे और ऐसे महान चरित्र ही देश के सिस्टम को बदलेंगे |
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