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“गन्दगी,गरीबी और स्वच्छ भारत”

SUBODHA
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अभी तक के जीवन में मैंने जितना देखा,उसमे मैंने यही पाया भारत वर्ष के शहर,गॉवों से अधिक गंदे हैं,परन्तु गांवो में गरीबी है| शहर में भी अलग -अलग एरिया का भिन्न -भिन्न सफाई का स्टैण्डर्ड होता है |शहर में इंसान १०-२० -५० रुपये खर्च करने के लिए ज्यादा सोचता नहीं है,गांवों के आदमी के जेब में इतने ही पैसे मुश्किल से होते हैं ,जिसे वो गिन -गिनकर खर्च करता है,पर गांव के घर व्यवस्थित नहीं रह पाते,सब इधर -उधर विखरा रहता है;शहर में इंसान व्यवस्थित रहना सीख लेता है|
इन सब से भिन्न एक तथ्य यह भी है,सफाई पैसे पर नहीं,इंसान के मश्तिष्क पर निर्भर करती है| कुछ इंसान अपने शरीर को भी स्वच्छ नहीं रख पाते और कुछ अपने पशुओं को भी नित्य नहलाते हैं |
दूसरा तथ्य यह भी है -कुछ गन्दगी में ही जीना श्रेयस्कर समझते हैं,गन्दगी ही शायद उनकी आजीविका कमाने का साधन है और वह उसे छोड़ना नहीं चाहते | एक दिन मैं जब बस से कबाड़ मार्केट से निकल रहा था,तो अगली सीट पर बैठा यात्री अपने साथी से बोला-कबाड़ में बहुत पैसा है,४ रुपये किलो खरीदो और उसे अलग -अलग छांटकर ८ रुपये ,१० रुपये किलो बेचों,सीधा दोगुना मुनाफा | और यह सच भी है,हमारे टाउन का एक कबाड़ी,कबाड़ से ही धनवान हो गया |
लेकिन गन्दगी और गरीबी की आपस में बहुत मित्रता है,गन्दगी न जाने कितने प्रकार के रोग हमारे शरीर में तैयार कर देती है,और रोगी इंसान धनहीन और निराश तो हो ही जाता है ,स्वयं ही नहीं उसका पूरा परिवार दुखी रहता है |
अब बात करते हैं,झाड़ू घुमाने की और झाड़ू लगाने की| सीधी बात कहूँ तो एक नेता ने झाड़ू घुमाई और दूसरे प्रधान सेवक ने झाड़ू लगाकर कचरा खुद dustpan से डस्टबिन में डालकर यह बताया ,मैं प्रधान मंत्री होकर भी साफ कर सकता हूँ और २०१९ तक भारत को गन्दगी से मुक्त कर के रहूँगा ,क्यों की गन्दगी भी एक प्रकार का भ्र्ष्टाचार ही है और यदि सब अपने -अपने स्तर पर साफ़ करने जुट जाएँ,तो भारत से सभी प्रकार की गन्दगी साफ़ हो सकती है |
पर सब एक जैसे नहीं होते ,कुछ कहेंगे -मोदी नया नाटक कर रहा है,कुछ कहेंगे यह सब राजनीती है ,कुछ कहेंगे कुछ नहीं होगा ,ऐसा करने से;परन्तु बहुत से लोग बदलेंगे ऐसा मुझे भी विश्वास है |
इन सबसे बढ़कर एक बात यह भी है,जमीनी स्तर पर काम होना चाहिए,नहीं तो पता चले स्वच्छ भारत के नाम पर सारे N.G.O. अपने बैंक के खाते में ही पैसे भर रहे और देश के धार्मिक संगठनो को भी धर्म के नाम पर बढ़ रही गंदगी को तुरंत रोकना चाहिए |

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