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कुछ वर्ष पूर्व सभी गांवों में और कुछ गांवो में अभी भी चौपाल लगती है ,जहाँ गांव के बड़े बुजुर्ग बैठकर एक -दूसरे की बात सुनते थे,अपने समाज,सम्बधियों,पड़ोस के गांवों,क्षेत्र,प्रदेश -देश में होने वाली घटनाओ की चर्चा करते थे,एक -दूसरे की अच्छाई -बुराइयों से सीखकर,आपस में सोच -विचारकर अपनी आगे की कार्य योजना बनाते थे | समय चक्र आगे चला,कृषि कार्य से अधिक लाभ न होना,गांव से शहरों की ओर पलायन होने लगा | हमारे अपने घनिष्ठ लोग दूर होने लगे और ऐसे समय में ही इंटरनेट की दुनिया में सोशल साइट्स का प्रादुर्भाव हुआ,जिससे जुड़ना और वहां अपने किसी पुराने मित्र को पाना,सुदामा-कृष्ण के मिलन से कम नहीं था,एक -दूसरे के हाल जानने का एक अच्छा माध्यम विज्ञानं ने उपस्थित किया |
कोई भी वस्तु या माध्यम अच्छा है या बुरा,मूलतः इस पर निर्भर करता है ,हम उसे कैसे उपयोग कर रहे अथवा उसे कौन उपयोग कर रहा | गीता में प्रभु ने काम को भी अपना स्वरुप बता दिया,पर एक बहुत बड़ी शर्त रखी -वेदोक्त रीति से संतान उत्त्पत्ति करने के लिए मैं काम हूँ,पर आजकल जो समाज में हो रहा है,वह हवस,व्यभिचार या बलात्कार भी नहीं,एक भीषण अत्याचार है और जिसके बहुत भयंकर परिणाम भविष्य में हमारे सामने आयेगें,कहीं हम हर घर में एक बैंडिट क्वीन तो नहीं देखना चाहते |
हमारा सर्वोच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सरकार से कह रहा है,अश्लील साइट्स बंद करो,पर सरकार अपनी असमर्थता व्यक्त करते हैं,जब कि,विश्व के कुछ देशों में ऐसी साइट्स पर पूर्ण प्रतिवंध है |
सोशल साइट्स पर गाली या अपमान जनक भाषा लिखना कोई बड़ी बात नहीं होती,यह कुछ बुद्धिहीन अचेतन मष्तिष्क का कार्य हो सकता है,पर भारत जैसे विशाल प्रजातंत्र में सोशल साइट्स के माध्यम से हम एक ही विषय पर करोड़ों व्यक्तियों से विचार विमर्श कर सकते हैं,जोकि किसी भी देश के लिए बहुत हितकर है |
आज आवश्यकता है,समाज और सोशल साइट्स के अराजक तत्वों को प्रतिबंधित किया जाये और सद प्रयासों को इस माध्यम के जरिये,त्वरित गति प्रदान की जाये,क्योंकि विगत लोकसभा के चुनावों में इन सोशल साइट्स ने एक बहुत बड़ी भूमिका निभायी और हमारे लोकतंत्र को एक नयी दिशा दी,जिससे अवश्य ही भारत की दशा भी सुधरेगी |
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