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आज सुबह मैंने ड्यूटी पर आने से पूर्व,रात्रि में तेज़ वारिश होने के कारण,टीवी को ऑन करके मौसम और मुंबई लोकल रेलवे के आवागमन के बारे में जानना चाहा,तो कुछ अलग ही न्यूज़ सुनने को मिली | दक्षिण भारत में दो मज़दूर की हथेली काट दी गयी और जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत सख्त टिप्पणी की,” हम किस तरह के देश में रह रहे हैं” | सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ| इस देश के बुद्धिजीवियों को मौन कदापि नहीं रहना चाहिए |
यह न्यूज़ सुनकर,मुझे अचानक इतिहास याद आ गया,ऐसा सुना और पढ़ा गया,ताजमहल के बनने के बाद में भी, यही कुकर्म किया गया था|
क्या इस देश का एक अंतिम सिरे पर खड़ा हुआ इंसान इतना सस्ता है,उसके साथ जैसा चाहो वैसा व्यवहार करो | इस तरह की घटनाओं में बहुत शीघ्र और कठोर कार्यवाही होनी चाहिए | अपराधी को आजीवन कारावास और मज़दूर के खाते में उसके और उसके परिवार का १०० वर्ष तक की उम्र का खर्च जमा करवाना चाहिए,अपराधी से दंड के रूप में |
ऐसी घटनाएँ देश में बहुत हो रही हैं | जो इंसान अपने खून -पसीने से अपना और परिवार का पालन -पोषण कर रहा है,उसी के ऊपर जुर्म करना,अपने ही कुल को सर्वनाश की ओर ले जाने वाला कदम है |
इस देश के महान फ़कीर कबीर को याद कर के लिख रहा हूँ –
दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय |
मुई खाल की स्वांस सो, सार भस्म हुइ जाय ||
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