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“ब्लॉग शतक”

SUBODHA
SUBODHA
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इस साइट पर आये हुए अभी कुछ माह ही हुए,मैंने ब्लॉगिंग २६ मार्च २०१४ से प्रारम्भ की | कुछ स्पेयर समय का सदुपयोग करने के लिए | हिन्दी साहित्य में बचपन से ही रूचि रही,विज्ञान का छात्र होने के वावजूद भी | जब मैं १० वी में पढता था,तब बाबा जी बार -बार कहते थे,हिन्दी भी पढ़ लिया करना,कभी -कभी उसमे भी अंडा(००-अंक ) आ जाता है |पर ऐसा कभी हुआ नहीं | और १२ वी में तो हिन्दी में विशेष योग्यता आ गयी |
मैंने ९९ ब्लॉग लिख दिए,कुछ अलग से खास प्रयास नहीं किया,केवल कविताओं को छोड़कर |ज्यादा सोचना नहीं पड़ा ,जो झट -पट दिमाग में वाक्य आया वही लिख दिया| साइट के अन्य कनिष्ठ,हमउम्र ,वरिष्ठ और बुजुर्ग साथियों को भी पढ़ा | बहुत अच्छा लगता है,मानो शुकदेव जी ,मरणासन्न परीक्षित को भागवत परायण करवा रहे हों,मानो वाल्मीकि ,लव-कुश को रामायण पढ़ा रहे हों | ऐसे अनुभव आये इस मंच से | बहुत अच्छा प्रयास और एक महान जाग्रति का विषय है यह और एक दिव्य मनोरंजन| जहाँ एक ओर ,आज के इस तकनीक युग में फेसबुक ,ट्विटर के जरिये गाली ,गलौच ,हिंसा ,अश्लीलता को बढ़ावा मिल रहा है,वहीं दूसरी तरफ ऐसे मंच प्रणम्य हैं |
इस १०० वे ब्लॉग में मैंने सोचा,एक विशेष शीर्षक पर लिखा जाये,तो इसे यही नाम दे दिया |
सभी वरिष्ठ साहित्कारों को मेरा नमन,साधुवाद | आप की महान चेतना से बहुत कुछ नया सीखने को मिला |

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