Menu
blogid : 18093 postid : 762918

“खबर और खबरी”

SUBODHA
SUBODHA
  • 240 Posts
  • 617 Comments

आजकल इतने न्यूज़ चैनल,और इतनी ख़बरें हैं,कि सुनने वाला,मानसिक रूप से वीमार हो सकता है और कुछ तो इन्ही ख़बरों के चलते आत्महत्या भी कर लेते | अभी कुछ दिन पूर्व इलाहाबाद में एक किसान ने आत्महत्या की,उसके ऊपर चार लाख का लोन था,सूखे के डर से उसने आत्महत्या कर ली | यह नयी सरकार भी एक किसान टीवी चैनल लेकर आ रही है,मेरे विचार से ज्यादा अच्छा होता ,यदि किसान और उसके बच्चों को कोई ट्रेनिंग वगैरह दी जाती ,उतने पैसों से | खैर,मुझसे कहीं ज्यादा बुद्धिमान और विद्वान लोग यह सब योजनाये बनाते होंगे,देखते है आगे इससे क्या अच्छा परिणाम निकलने वाला है |
बचपन में मुझे न्यूज़ देखने या पढ़ने का कोई शौक ही नहीं था,कभी टाउन में आया ,या और कही न्यूज़ पेपर मिला,तो सद्विचार,आज का विचार वाला शीर्षक पढ़ लेता था,या कभी कोई प्रेरणादायक कोई कहानी सम्पादकीय पृष्ठ पर छपती थी,उसे चाव से पढता था | भोपाल से मुंबई के जीवन काल में मैं हर खबर पर ध्यान देने लगा | मेरा भाई जब मेरे साथ मुंबई में रहता था,तो वह दैनिक जागरण में अपने जनपद की भी खबर, खोज कर पढता था और मुझे भी बताता था,अपने क्षेत्र के अलग -अलग जगह के नाम लेकर ,उधर यह हो गया ,इधर यह हो गया |
कभी -कभी मैं कुछ दिन के लिए ख़बरें पढ़ना बंद भी कर देता हूँ,मुझे लगता,इससे दिमाग पर अनावश्यक जोर पड़ता है | इन ख़बरों को जानकर भी मैं क्या कर लूंगा और कौन सा मैं एक न्यूज़ पेपर पढ़कर इस विशाल जगत की,हर -एक घटना से रूब -रू हो जाऊंगा, और कुछ सुधारने के बजाय,अपना इमोशनल ग्राफ और ऊंचा उठा दूँ |
मेरे पिता जी ने इसीलिये बचपन में घर पर टीवी ही नहीं खरीदी ,कही हम लोग दिनभर टीवी ही न देखते रहें,पढाई छोड़कर |
आजकल अच्छी बात कम या बिलकुल नहीं,और गंदी बात को हजार बार दिखाया जाता है,सूखे का वर्णन ऐसे हो रहा है,जैसे पूरी वर्षा ऋतु बीत गयी हो | अब सब भूखे -प्यासे ही मरने वाले हैं | जब की मुंबई में पिछले सात दिन से सूर्यनारायण का दर्शन नहीं हो पाया मुझे | मेरे बाबा जी से कभी कोई अपनी खोयी हुयी बस्तु,पशु के बारे में ज्योतिष समाधान जानने आता ,तो अशुभ नक्षत्र में चोरी हुयी बस्तु के बारे में कह देते,” चिंता मत करो ,भगवान चाहेगा तो मिल जाएगा | मैंने एक बार कहा,यार तुम तो उसको गलत बता दिए | तो बाबा बोले -,” होत है अपनी भाग्य सों,भली कहत का जाय”. जो होना होगा ,वह तो होगा ही.पर सामने बेचारा एक परेशान इंसान है ,उसको अच्छा सुनकर तसल्ली मिलेगी,और हो सकता खोयी हुयी बस्तु मिल भी जाये |
अतः इस देश के खबरियों को बहुत ज्यादा बदलने की आवश्यकता है,प्लीज थोड़ा रहम करो ,इस बेचारी जनता पर |

Tags:      

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh