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ज्यादातर पढ़े -लिखे लोगों का मानना है,भूत नहीं होते.मैं तो कहता और मानता हूँ -भूत अवश्य है.संस्कृत में प्रत्येक अक्षर एक धातु है,तो भूत तो अपने में तीन अक्षर(भ ,ऊ,त) समाहित किये हुए है,अर्थात तीन धातु.
एक शब्द ,बहुअर्थी भी होता है,यदि ऐसे इस भूत का विश्लेषण करें तो इसका अर्थ है -जीव,मृतात्मा और वीता हुआ समय.
रामचरित मानस में तुलसी की जीवनी में,एक प्रेत (भूत) ने ही गोस्वामी तुलसी को हनुमान जी का पता बताया.अपने भोले बाबा तो अनगिनत भूत -प्रेतों के साथ ही रहते हमेशा.गणेश जी भी -भूतगणादिसेवितं हैं. यदि यह भूत है नहीं,तो इनका वर्णन क्यों किया गया.
इस देश में गांव और चौराहे पर जादू दिखाने वाले लोग,भूत और प्रेत की ही उपासना करते हैं,न जाने क्या -क्या सामने लाकर रख देंगे-इलायची ,लौंग आदि के पौधे ,पैसे इत्यादि और बाद में गायब कर देंगे,यदि ऐसा नहीं है तो कहाँ से आते और कहाँ चले जाते यह सब.
ऐसा ही एक जादू वाला एक बार हमारे गांव में आया-उसके साथ में एक बच्चा,उसने जादू दिखाया.वह हमारे घर के सामने ही हो रहा था,मेरे बाबा जी अपने चबूतरे पर बैठे थे -किसी ने इशारे कर के जादूगर से कहा,उन पंडित जी का नाम बताओ.उसने बच्चे से कहा -बता नाम उन पंडित जी का.वह बच्चा अति शीघ्र बोला -“लज्जाराम”.जादू खत्म होने के बाद फिर उससे पूछा-क्या नाम है उनका.तो बोलता -नहीं मालूम.यह सब कैसे होता,यदि भूत नहीं है तो.
मेरे बाबा जी ज्योतिष,सत्यनारायण कथा,विवाह वगैरह का कार्य करते,बोलते इससे कोई आजीविका नहीं चलानी,कोई भूला -भटका आ गया,बता देते उसको,उसको भी तसल्ली हो जाती.इतना तुम भी सीख लेना,जितना मुझे आता.कम से कम अपने घर में पूजा -पाठ तो अच्छे विधि -विधान से कर सको.वह एक बार एक शादी में गए,हमारी तरफ लड़के की ओर से लड़की के घर के अन्य सदस्यों के लिए वस्त्र लाये जाते हैं-जिन्हे “साराजोरी”कहते हैं.साराजोरी मंडप में रखी गयी,तभी उस घर की एक महिला के ऊपर उसके किसी कुल के मृत व्यक्ति की आत्मा आयी और बोली(आत्मा आने पर व्यक्ति की आवाज बदल जाती और उसके शरीर की शक्ति भी अधिक हो जाती,उसे पकड़ना कठिन हो जाता)-हमारी धोती क्यों नहीं लाये.बाबा जी ने लड़की के पिता से पूछा-कोई घर में पितर(पूर्वज) है,जिसकी पूजा आप लोग कभी करते थे या करते हो,उसने कहा -हाँ.अब गांव में १२ बजे रात्रि में नयी धोती का इंतजाम कैसे हो?बाबा जी ने कहा ,हमारे घर पर किसी को भेज दो-नयी धोती ले आये,आप पैसे दे देना उस धोती के. जब धोती घर से वहां पहुँची,तब पाणिग्रहण का कार्यक्रम आगे बढ़ा.
अतः भूत ,प्रेत,स्थान देवता,कुल देवता होता सब कुछ है यदि आप मानो तो,नहीं तो मूर्ती भी पत्थर है ,उसमे भगवान कहाँ.
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