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अभी कुछ दिनों से,जब एक ओर आलू -प्याज की मूल्य वृद्धि की ख़बरें आ रही हैं,तो दूसरी ओर सरकार के भी चौकन्ने होने की खबरें आयी.कुछ कानून में सुधार किया गया,किसान अब आलू -प्याज को सीधा मार्केट में बेंच सकता है.हमारे खाद्य आपूर्ति मंत्री,(जो अपने बेटे की सलाह पर चुनाव पूर्व मोदी के पाले में आ गए,जब कि एक १७ वर्षीय पुराना घनिष्ठ यार,केवल अपनी धुन में साथ छोड़कर अलग हो गया),ने जनता को भरोसा दिलाया,उनके पास खाद्यान्न के पर्याप्त भण्डार हैं. जनता को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है.
दिल्ली में कुछ छापेमारी की भी ख़बरें आयी.तब तक आप के अरविन्द ,राष्ट्रपति जी से मिलने पहुँच गए,पुनर्चुनाव की मांग के लिए.उनकी भी चिंता वाजिब है,अभी इलेक्शन हुए तो कुछ सीटें आप को भी मिल सकती हैं ,नहीं तो दिल्ली में भी जमानत जब्त होने जैसे आसार हो जायेंगे.पर नरेंद्र मोदी राजनीति की नए खिलाड़ी नहीं हैं,और अब तो पूर्ण संख्याबल भी है उनके पास ,वह भी अपने खून -पसीने से ,अपनी ताकत से बनाया . वह, पहले जितना हो सकता है ,दिल्ली की जमीनी हक़ीक़त सुधारेंगे,इसके बाद ही इलेक्शन का एलान करवाएंगे.
उधर संसद में बजट सत्र के पहले दिन ही कभी विश्व की सबसे ताकतवर समझी जाने वाली विदेशी मूल की भारतीय कुल वधू,अपनी पद -प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित हो उठी.उनकी किसी पद पर आसीन होने की ख्वाहिश अभी मिटी नहीं.इच्छा तू न गयी मेरे मन से.
राजनैतिक बातों की चक्कर मैं थोड़ा शीर्षक से अलग हट गया,ऐसा नहीं है.जमाखोरों की श्रेणी में शायद,कई नेता भी आएंगे,जिन्होंने न जाने कितनों की संपत्ति हड़प ली.और अपने बहू ,बेटे ,बेटी ,दामाद,चाचा ,भतीजे सबके खजाने भर दिए.इनके अंदर धृतराष्ट्र की अपेक्षा एक गुण अधिक है,धृतराष्ट्र को दुर्योधन और अन्य ९९ के अतिरिक्त कोई पसंद ही नहीं था,यहाँ तक की अपने छोटे भाई की संतान को भी मारना चाहा.आजकल के तो नेता,भाई ,भतीजा,मामा ,फूफा सबको साथ लेकर चलते हैं.
किसान फसल काटने के बाद तुरंत बेचता है,न चाहते हुए भी उसको बेचना पड़ता है,पैसों के लिए.खरीदने वाला खरीदकर,उस अनाज के महंगे होने का इंतज़ार करता है और जब अत्यधिक मांग उठती है, तभी बेचता है.शायद वह भी कहीं न कहीं ,किसी प्रकार से अच्छा ही कार्य कर रहा है,अनाज खुले में सड़ने से तो बच रहा है.
सरकार को छापेमारी करने के साथ -साथ ,अनाज और सब्जी भण्डारण की गोदाम बनवानी चाहिए,सारे जमाखोरों को एक साथ लेकर और उन्हें सरकारी बना दे. और किसान का भी उसके लाभ का हिस्सा मिले.क्यों कि महगाई का किसान को कोई फायदा नहीं मिलता,जबकि उसका पूर्ण अधिकार है लाभ में अपना भाग लेने का.
“जय किसान”
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