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“मैं कौन हूँ”?

SUBODHA
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लगभग हर समझदार इंसान के अंदर यह प्रश्न होगा. और इसी का उत्तर खोजने के लिए वह सतत प्रयत्नशील है. कोई-किसान ,मज़दूर चपरासी ,क्लर्क ,लेखक -कवि,डॉक्टर,मास्टर,पुलिस,अधिकारी, समाजसेवक,अभियंता,अभिनेता,संतरी-मंतरी,I.G.,D.I.G.,C.I.D.,I.B.,P.C.S.,I.A.S.,I.P.S.,I.F.S. आदि-आदि है .इन सबसे परे कोई अपने आप को आम आदमी बताता और कोई खास. आम और खास की विस्तृत परिभाषा ,शायद हिन्दी शब्दकोष का विषय नहीं हो सकता.आम और खास सभी भीड़ के हिस्से हैं.१२५ करोड़ के देश में नेताओं की भी अच्छी -खासी भीड़ है.एक किसान जो अपने बेटे को अपने परिश्रम की गाढ़ी कमाई लगाकर पढ़ाता -लिखाता है,जब उसका बेटा कुछ अच्छा करता है या कोई अच्छा अधिकारी बनता है,तो किसान की भी कमजोर छाती फूलकर ५६ इंच की तो क्या ६५ इंच की हो जाती होगी.उस वक्त वह भी अपने आप को खास महसूस करता होगा. और समाज के बीच में बात आने पर गर्व से उन्नत मस्तक कर के कहता -मेरा बेटा I.A.S. OFFICER है. उस वक्त किसान और उसका बेटा दोनों ही खास है,वह भीड़ में रहकर भी भीड़ से कुछ अलग हैं.
पर हो सकता है ,एक I.A.S. OFFICER का बेटा भी नाकारा और निकम्मा निकल जाये,इसी अहसास के चलते कि वह बहुत बड़े बाप की औलाद है. उसे क्या पता आम आदमी से खास बनने की यात्रा कितनी जटिल होती है.भीड़ में रहकर भी भीड़ से कुछ अलग कर जाने के लिए कितने दृढ़संकल्प की आवश्यकता होती है,न जाने कितनों के अनर्गल प्रलाप को सुनकर के भी अनसुना करना पड़ता है.
हाँ ,भीड़ तो हर तरफ है ,अस्पताल में रोगियों और डॉक्टरों की भीड़,एग्जाम में नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थियों की भीड़,ट्रैन में -सड़क पर यात्री और सवारियों की भीड़,कॉलेजेस में विद्यार्थियों और घुमक्क्डों की भीड़,जगह -जगह ,हर घर में ,समाज में एक -दूसरे की बुराई करने वालों की भीड़ ,शमशान घाट पर मुर्दों की भीड़. और इन सबकी गणना करने के लिए लगे हुए लोगों की भीड़, कुछ गणना की भी पुनर्गणना करने वालों की भीड़.
इस भीड़ ही भीड़ में,कोई तो खास है जो एक -दूसरे की सहायता करने के लिए आतुर है,एक -दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए आतुर है ,एक दूसरे के दोषों को मिटाने और अच्छाई को जगाने के लिए आतुर है,जिसने कभी किसी की बुराई नहीं की होगी,अपनी जवान से कोई अपशब्द नहीं निकाला होगा,धर्म और जाति के आधार पर समाज को नहीं बांटा होगा. जिसने रेलवे स्टेशन पर भी किसी अपरचित की मदद कर दी होगी ,कभी रिजर्वेशन फॉर्म भरने में ,कभी कुछ छुट्टा देकर.किसी घायल को अस्पताल पहुँचाकर.
मेरे विचारानुसार वही खास है,वही परिवर्तन कर सकता है ,चाहे भले ही वह अपने आप को हमेशा आम आदमी ही कहकर सम्बोधित करे.
जय हिन्द,जय भारत.

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