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“क्रांति”

SUBODHA
SUBODHA
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क्रांति नहीं हो सकती ,बहुत तेज़ चिल्लाने से.
क्रांति नहीं हो सकती ,पुतला जलाने से.
क्रांति नहीं हो सकती ,लाखों की भीड़ जुटाने से .
क्रांति नहीं हो सकती, हा-हा कार मचाने से.
क्रांति नहीं हो सकती ,गाड़ियों के शीशे तोड़ने से.
क्रांति नहीं हो सकती , सरकारी बसों में आग लगाने से.
क्रांति नहीं हो सकती ,झाड़ू घुमाने से.
क्रांति नहीं हो सकती ,बहुरंगी टोपियों से.
क्रांति नहीं हो सकती, कलियुगी नेताओं के भाषण से.
क्रांति नहीं हो सकती ,आरोप -प्रत्यारोप से..
हाँ,क्रांति हो सकती है ,परिवर्तन हो सकता है ,उत्थान हो सकता है –
लेखनी थामकर कुछ नया सीखने से,
तकनीक युग की नयी -नयी बारीकियां जानने से.
छोटी -छोटी समस्या का समाधान निकालने से .
हर घर में सौहार्द -सामंजस्य की भावना से .
भाई-भाई में राम -भरत जैसे प्रेम से.
आसपास की गंदगी को स्वयं साफ करने से.
जीर्ण-शीर्ण का जीर्णोद्धार करने से,
कुछ नए निर्माण से .
कुछ नए अनुभवों से.
कुछ नयी योजनाओं से.
पुरानी असफलताओं से, कुछ नया सीखने से.
कुछ नए संगठन,जो शैक्षिणिक हो.
कुछ नए शिक्षक ,जो वैज्ञानिक हो .
कुछ नए छात्र ,जो आविष्कारक हो.
कुछ नए घुमक्क्ड़ ,जो सन्यासी हो.
कुछ नयी गृहिणियां ,जो वैराग्य की उपदेशक हो. परिवर्तन कर सकती हैं ,क्रांति ला सकती हैं.
और भारत की भावी पीढ़ियों को ,उत्थान के स्वर्णिम पथ पर पहुंचा सकती हैं.
जय हिन्द ,जय भारत.

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