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“कैम्पा कोला या कोका कोला”-“कोउ नृप होइ हमैं तौ हानी”……..क्रमशः

SUBODHA
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हर इंसान पहले से ही बहुत परेशान है और ऊपर से ये कानून. पहले तो मकान बनाना बहुत मुश्किल है.बन भी जाये तो ईटों से बने मकान को अच्छे घर में तब्दील करना बहुत कठिन काम है,यहाँ अच्छे घर का अर्थ -आचरण समपन्न,सुशांति और विकास का वातावरण, से है.
मैंने मकान को बनते हुए भी देखा ,और टूटते हुए भी.आप में से लगभग सभी ने ही देखा होगा . कितना परिश्रम चाहिए. बनाने में समय भी बहुत लगता. वर्षों लग जाते एक ईमारत बनने में.
टूटने में क्या,एक दिन. एक तीन मंज़िला ईमारत,६-७ घंटे में तोड़ दी गयी,अपनी आँखों देखी घटना.
अब यदि बहुमंज़िला ईमारत बनाने में कानून का दुरूपयोग किया गया,तो इसमें उस घर में रहने वाले का क्या दोष. घर खरीदने वाला उसके निर्माण से सम्बंधित प्रत्येक कानून का ज्ञाता नहीं हो सकता.
नयी सरकार की नयी योजना २०२० तक सबका अपना पक्का घर होगा,तो जिनके पास है ,उनके तोड़ क्यों रहे. सब मूक -वधिर बनकर तमाशा क्यों देख रहे.
जो बन चुका है ,उसको लीगल करो और अब आगे से ऐसा इललीगल मत होने दो,यही समझदारी है. नहीं तो २०२० तो क्या,३०३० तक भी सबका पक्का मकान नहीं होगा ,यदि हर एक आने वाली सरकार लीगल -इललीगल की एनालिसिस कर के बने -बनाये मज़बूत मकानों को तुड़वाएगी.
आप का क्या मानना है?

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