SUBODHA
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यहाँ एक छोटी सी स्तुति आप लोगों के समक्ष रखने जा रहा हूँ,जो बचपन में मेरे द्वारा कंठस्थ की हुयी है,इस पर कोई अपना कॉपीराइट नहीं बनता,मुझे ज्ञात भी नहीं यह किसने लिखी.बाबा जी ने याद करवा दी थी.
इसलिए भूल -चूक ,लेनी-देनी.
जय त्रिनेत्र ,गौरांग,उमावर,
नीलकंठ ,मृत्युंजय, शशिधर.
जय गंगाधर ,जय डमरूधर,
आशुतोष ,भगवान ,महेश्वर.
दुखहर,सुखकर ,सर्वगुणाकर,
मंगलमय,मंगल पावनकर.
शंकर जटाजूट बिच विहरत,
चमकत चारु चन्द्र मस्तक पर.
ऐरि-फेरि लपटात गात,
अगणित विषम भयंकर विषधर.
मदन दहन ,काली,योगेश्वर,
विश्वनाथ, जय जय शिवशंकर.
विश्वनाथ, जय जय शिवशंकर.
विश्वनाथ, जय जय शिवशंकर.
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