Menu
blogid : 18093 postid : 753826

गंगा स्वच्छता अभियान –“कोउ नृप होइ हमैं तौ हानी”……..क्रमशः

SUBODHA
SUBODHA
  • 240 Posts
  • 617 Comments

अभी नयी-नयी सरकार आयी बहुत जोश के साथ काम हो रहा है. काले धन पर S.I.T. तो तुरंत ही बन गयी.प्रधानमंत्री जी ने अपना दबदबा एशिया में तो दिखा ही दिया.जब आमंत्रण देने से ही लंका और पाकिस्तान हमारे नागरिकों को अपनी जेल से छोड़ दे ,तो और कुछ जद्दोजहद करने की क्या जरूरत.इसीलिये तो हम पहले भी कह रहे थे -हमारे विगत प्रधानमंत्री से, इतना मौन रहना अच्छा नहीं है.सिंघासन पर बैठे हुए इंसान के पास धनुष -वाण भी होने चाहिए.तभी राम -राज्य आएगा.
गंगा स्वच्छता अभियान के ऊपर नए कानून बने,अच्छा है कानून तो बनने ही चाहिए,लेकिन इसके साथ -साथ धार्मिक ग्रंथो में भी शंशोधन होना चाहिए. अब यदि सत्य नारायण पूजा के बाद किसी ने मंडप और पुष्प का बहते जल में विसर्जन करने के विचार से गंगा में प्रवाहित किया और यदि किसी गंगा टास्क फ़ोर्स के सैनिक की दिव्य दृष्टि उस इंसान पर पड़ गयी,तो या तो जेल जाओ या १०,००० रुपये भरो,नहीं तो पुलिस वाले को साइड में ले जा के ५००-१००० रुपये जेब में डाल के धीरे से खिसक लो. इससे किस पर कितना असर पड़ेगा ,यह तो आने वाला समय ही बताएगा. अभी फिलहाल अपने भी कुछ विचार हैं गंगा स्वच्छता अभियान के सम्बन्ध में –
१.) इस देश में पॉलिथीन का निर्माण और उपयोग तत्काल बंद हो.( हमारे बाबा जी एक बार घर पर बोले पॉलिथीन को कचड़े के साथ घूरे (कचड़ा एकत्रित करने का नियत स्थान ) पर मत भेजा करो,यह किसान की सबसे बड़ी दुश्मन है,यदि बीज के ऊपर पड़ जाये,तो बीज अंकुरित ही नहीं हो पायेगा.).क्या जब देश में पॉलिथीन नहीं थी,तो हम -सब जीवित नहीं थे .
२.)पुष्प से इत्र भी बनता है. कन्नौज ,मेरा गृह जनपद इत्र के लिए ही प्रसिद्द है.पुष्प से इत्र बनाओ,हर मंदिर में -हर घर में शुद्ध इत्र पहुंचे, वातावरण सुवासित हो,वजाय भगवान और नेता जी के ऊपर लाखो किलोग्राम पुष्प खर्च/नष्ट करने के.
३.)धार्मिक ग्रंथो में शीघ्र-अतिशीघ्र संशोधन कर दो,भगवान के लिए एक ही श्रद्धा -सुमन पर्याप्त है,एक ही तुलसी दल बहुत है. पूजा के उपरांत ,अवशिष्ट वहते जल में कदापि मत डालो.किसी पेड़ के नीचे रख दो.
४.)गंगा के किनारे बैठे हुए “पण्डे” किसी को भी जल में गंदी सामग्री डालने से रोके,अलग से टास्क फ़ोर्स बनाने की कोई जरूरत नहीं.पहले गंगा में हमारे पुरखे गाय का दूध और आटे की गोलियां डालते थे.
५.) देश के लाखो -करोडो मल -मूत्र के नाले जो गंगा में जाकर गिरते हैं ,उनकी दिशा बदली जाये,उनके जल का उपयोग ऊसर -बंजर भूमि के सिंचन के लिए हो.मल-मूत्र में ऊर्वरा शक्ति सबसे अधिक होती है.
६.) इस देश में ऐसे उद्योग धंधो की कोई आवश्यकता नहीं जिनसे यूनियन कार्बाइड और कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी विषैली गैसें निकले.और पुनः एक भोपाल गैस त्रासदी जैसे भविष्य की ओर बढ़े, जिस देश में ७० % जनता खेती से आजीविका पा रही हो,जिस देश के नाम का गूढ़ार्थ ही पूरे विश्व के भरण -पोषण करने की सामर्थ्य रखता हो ,उसमे एग्रीकल्चर की कल्चर को पुनर्जीवित करना चाहिए.पुनः एक समय ऐसा आये जब लोगों के लगे,किसी की नौकरी करने से अच्छा है, अपने खेत में काम करे.
७.) यह विचार उचित नहीं हैं,कल -कारखानो से निकले दूषित जल को शुद्ध कर के उपयोग में लाया जाये,वरन जल को दूषित करने से ही बचाया जाये,ये अधिक उत्तम और श्रेष्ठ विचारधारा है.
८.) गंगा के किनारे शमशान घाटो को नई टेक्नोलॉजी से ऐसे डेवलप किया जाये कि-कम से कम या नगण्य प्रदूषण से मृत व्यक्ति का शरीर,भस्म में बदल जाये.
बाबा जी कहते- “अंतिम संस्कार भी एक यज्ञ है.बहुत अच्छे ह्रदय से भाव पूर्वक पूरा करना चाहिए”.
९.) गंगा या किसी नदी -नाले के बहते जल में, नग्न होकर स्नान ,मल -मूत्र त्याग और थूंकना तो कदापि नहीं चाहिए.यह जल और जलदेवता का अपमान है.
“जय गंगा मैया”

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh