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“कचड़ा और इंसान”

SUBODHA
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“जीवन और जीव” बहुत ही गहन और कठिन विषय है.विश्व के शोधकर्ता मंगल पर भी जीव और जीवन को खोज रहे हैं.भले ही हम पृथ्वी पर मंगल कायम करने में समर्थ न हों.जीव नित-नित नयी ऊंचाई को छूना और पाना चाहता है.एक बार तो मैंने एक महोदय को कहते हुए सुना -मैं एक २५ मंजिले टावर में मरना चाहता हूँ,अर्थात टावर में उसका खुद का फ्लैट हो. MANY MEN,MANY MINDS.
अब मनुष्य का ही जीवन ले लो.जीव वैज्ञानिक इसका विश्लेषण अपने हिसाब से करेंगे.धर्म -शाश्त्र अपने अनुसार. कहते हैं और मैंने स्कन्द पुराण में पढ़ा भी -यह जीव ९ माह तक माँ की कोख में उल्टा लटका रहता,हाथ पैर जोड़े हुए प्रभु से सतत याचना -प्रार्थना करता रहता,मुझे इस अंधेरी कोठरी से बाहर प्रकाश में निकालो,मैं सतत आप के प्रति समर्पित रहूंगा. पर तुलसी के शब्दों में -“भूमि परत भा ढाबर पानी ! तिमि जीवहि माया लपटानी !!
जन्म लेते ही संसार में बंधने लगता. अच्छा और बुरा भी भूल जाता.जो मन में आये वही करता. किसी दूसरे का हित -अनहित कदापि नहीं सोचता.
मैं १ वर्ष अपने पिता जी के पास पढ़ा,तब एक दिन एक कुत्ता अपनी पूंछ से जमीन झाड़कर बैठ रहा था.डैडी जी ने इशारा कर के बताया. यह जीव भी जहाँ बैठता ,वहां साफ़ करता इसलिए इंसान के लिए तो स्वच्छ रहना कितना आसान और आवश्यक है.
“गांव के गवार” कहे जाने वाले लोग भी,प्रतिदिन सुबह उठकर अपना घर -आँगन साफकर ,पशुओं का गोबर आदि एक नियत स्थान पर गांव के बाहर साल भर एकत्रित करते हैं.वैशाख में उसे अपने खेत में पहुंचा देते,जो बहुत अच्छी खाद के रूप में काम करता.अनाज की पैदावार बढ़ती.
शहर का वाक़या अलग रहता है,यहाँ ज्यादा काबिल बसते हैं.सफाई ,सोसाइटी पर निर्भर करती,इंसान के ऊपर नहीं.इतनी गंदी बस्ती भी होती,कि यदि गांव का इंसान १-२ घंटे रहे ,तो दम फूलने लगे.लोग कचरा सीधा घर की खिड़की से बाहर भी फेंक सकते हैं ,चाहे नीचे कोई निकल रहा ,तो उसके ऊपर ही गिर पड़े.
मैंने एक बार यहाँ वाकोला,सांताक्रुज में एक सोसाइटी की वीकली मीटिंग अटेंड की.उसमे डेमोंस्ट्रेशन दे के यह समझाया गया ,कि यदि भीगे(सब्जी के छिलके आदि ) और सूखे कचड़े(मिल्क पाउच) को अलग -अलग कर के डाला जाये,तो भींगे कचरे से देश में करोडो रुपये की कम्पोस्ट खाद बनाई जा सकती है और केमिकल खाद से होने वाले आर्थिक,प्राकृतिक और स्वास्थय सम्बन्धी हानियों से बचा जा सकता है.
आओ प्रयास करें,कचड़े से भी कुछ पाने के लिए, इंसान के जीवन को बेहतर बनाने के लिए………………….

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