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N.O.C.(नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट)–“कोउ नृप होइ हमैं तौ हानी”……..क्रमशः

SUBODHA
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प्रिय रीडर्स “कोउ नृप होइ हमैं तौ हानी” शीर्षक के अंतर्गत अभी तक मैंने ४ उदाहरण पेश किये.आज पांचवा उदाहरण,जिससे मैं स्वयं भी बहुत परेशान हूँ,और मेरे जैसे न जाने कितने और भी होंगे. मेरे लिए दुआ करना और आप को कुछ अपने भविष्य के लिए सीख मिले तो और भी अच्छा.
५.) बचपन में मेरे बाबा जी कहा करते थे-हमारे परिवार में किसी ने पुलिस थाना,कोर्ट ,कचहरी के चक्कर कभी नहीं लगाये,हमेशा आराम से रहे. न काहू से ज्यादा दोस्ती ,और न किसी से अकारण बैर. इसलिए ऐसे काम करना,ताकि कुल की लाज बची रहे.पर जब से मैं मुंबई आया इस N.O.C. के चक्कर में बहुत बार पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़े,क्या करूँ ,यह नौकरी ही ऐसी है. एयरपोर्ट ,सुरक्षा के लिहाज से बहुत सेंसिटिव एरिया होता है. कम्पनी आइडेंटिटी कार्ड के अलावा , B.C.A.S.(BUREAU OF CIVIL AVIATION SECURITY) भी एक एंट्री पास इशू(जारी) करता है,जो एक साल तक वैलिड रहता है,बिना उसके एयरपोर्ट के अंदर कोई नहीं आ सकता. एंट्री पास पाने के लिए,पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट से N.O.C. लाना पड़ता है.
N.O.C. ISSUE (जारी ) करने के पुलिस महकमे के अपने कानून -कायदे हैं. आप के ऊपर कोई अपराधिक मामला नहीं होना चाहिए, जन प्रतिनिधियों,मंत्रियों पर हो तो कोई बात नहीं. आप जहाँ विगत १-२ वर्ष से रह रहे हों ,वहां का एड्रेस प्रूफ,और उस पते पर गवर्नमेंट से जारी किया गया कोई पहचान पत्र होना चाहिए ,जैसे -राशन कार्ड,पैन कार्ड , ड्राइविंग लाइसेंस,आधार कार्ड( मुझे लगता ,इसमें भी बहुत घोटाला हुआ होगा ) आदि.
पर मुंबई में जो इंसान हर ११ माह के बाद अपना नया रूम लेकर रह रहा हो,उसके पास यह सब डाक्यूमेंट्स तो होते नहीं,जो डाक्यूमेंट्स होंगे वह सब उसके स्थाई पते पर रहते.यदि स्थाई पते के पुलिस स्टेशन पर जाओ,तो कहते तुम यहाँ तो रहते नहीं,जहाँ रहते वहां से बनवाओ.यह तो वही हाल हो गया भाई,”धोबी का कुत्ता ,न घर का ,न घाट का”.
तो फिर यह बनता कैसे है?-पैसे खिलाने पड़ते हैं भाई.
अब इसके लिए किसको दोष दूँ,कौन कानून बदलेगा.कौन किसको समझाए -जो इंसान विगत दस वर्ष से एक ही एयरपोर्ट पर काम कर रहा है,उसे क्रिमिनल बनने का सुअवसर कब मिला होगा.
कभी -कभी तो लगता गलत जगह आ गए यार.B.A./M.A. करता,पत्रकार बनता .
इसके बाद फिर कौन रोक सकता था मुझे ने………. बनने से.

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