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भयंकर गर्मी पड़ रही है,चारो तरफ आग ही आग है.ऊपर वाला, ऊपर से आग वरसा रहा,कुछ कमी रह जाती ,तो नीचे वाले पूरी कर देते.खुद आग लगा देते ,अपने और दूसरों के जीवन में. एक कहावत है -“बन्दर के हाथ में मशाल दोगे ,तो आग ही लगाएगा”.शायद यह कहावत हनुमान जी महाराज के लंका दहन के बाद शुरू हुयी होगी. अभी भी प्रश्न है -लंका किसने जलाई.कुछ कहते -हनुमान ने ,कुछ कहते -रावण के पाप ने,कुछ कहते -सीता के शोक ने.हनुमान जी से पूछेंगे,तो शायद उत्तर देंगे –
!!प्रभु की कृपा भयउ सब काजू ;जन्म हमार सुफल भा आजू !! ,इसलिए मैं भी नहीं समझ पा रहा,लंका किसने जलाई ,कैसे जल गयी.खैर ,जाने दो…………………
अब बात करते हैं -अपने गृह प्रदेश की,वहां आजकल बहुत आग लगी हुयी है. और ऐसे में बिजली भी नहीं आ रही,चलो अच्छा है ,कहीं बिजली के शार्ट सर्किट से और आग न लग जाये.मुझे लगता सबसे ज्यादा गर्मी का असर हमारे प्रदेश वासियों पर ही होता है,पता नहीं यह क्या करना चाहते ,कुछ नाक रखेंगे या पूरी ही कटवा देंगे,ज्यादा गर्मी हैं -गंगा नहाओ,नदी -नालों में पड़े -पड़े शरीर को तरोताज़ा रखो,क्यों ऐसे घिनौने काम कर रहे,जिसे लेखनी भी लिखने से हिचकिचाये. मेरा यह बहुत गहन विचार है -देश और प्रदेश सरकार जनता को मिट्टी का तेल प्रति माह देने की बजाय,हर घर को एक सोलर प्लेट ,एक लाइट बल्ब और एक सोलर फैन दे दे.बिजली और गर्मी, दोनों समस्या,एक साथ हल हो जाएंगी.पर मेरे लगने से क्या होता,मंत्री महोदय को लगे तब न.
हमारे यहाँ एक फायर सेफ्टी ट्रेनिंग होती है -उसमे बताया जाता है,यह जीवन बहुत अनमोल ,हमेशा केयरफुल होकर जियो. पिछली ट्रेनिंग में,हमारे इंस्ट्रक्टर ने बहुत साधारण और अच्छी बातें बताई,जैसे कि- हर घर में गैस सिलिंडर होता है,पर वो कभी भी ऐसी जगह नहीं होता कि आराम से उस तक पहुंचा जा सके ,इमरजेंसी में उसे बंद किया जा सके,उसके ऊपर न जाने कितना व्यर्थ का सामान रखा रहता है. और कहा -इन सब छोटी -छोटी बातों को ध्यान रखने की जरूरत है. हेलमेट पहनना,गैस को जलता,unattended छोड़कर बाहर न जाना,गैस use होने के बाद रेगुलेटर से बंद करना आदि. कोई इमरजेंसी एग्जिट रखना.शहरों में तो ,हर खिड़की जाली से कवर होती है,कोई इमरजेंसी में घर से बाहर भी नहीं आ सकता. हो सके घर में छोटा सा एक अग्नि शामक का बोतल रखना,उसके प्रकार और उपयोग के बारे में जानना.कही आग लग गयी हो, वहाँ ज्यादा भीड़ मत बढ़ाओ.रास्ता जाम हो जायेगा,अग्निशामक की गाड़ी भी नहीं पहुँच पाएगी……………………..
बस अब और क्या कहूँ ,प्रभु से प्रार्थना ही कर सकता हूँ ,इंद्रदेव को थोड़ा जगा दो ,अपनी जिम्मेदारी समझे.
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