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“नहीं चाहिए”

SUBODHA
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नहीं चाहिए – उनसे हमदर्दी ,जिनके पथ्थर दिल हैं.
नहीं चाहिए -उनसे ज्ञान ,जो अहंकार के महा सागर हैं.
नहीं चाहिए -उनके शुभाशीष ,जिनके कर्म कभी शुभ नहीं थे.
नहीं चाहिए -ऐसा सिक्का,जिसमे मेरे परिश्रम की खुसबू न हो.
नहीं चाहिए -ऐसा साथी,जो चाटुकारिता में प्रवीण हो.
नहीं चाहिए -ऐसा शाश्त्र ,जो देश और समाज को ऊंचा न उठा सके.
नहीं चाहिए -ऐसा वातावरण ,जिसमे रेगिस्तान की तपन हो .
नहीं चाहिए -ऐसा आवरण ,जो मेरे अंतर्मन से मैच न करता हो.
नहीं चाहिए -ऐसा पद ,जिस पर ईमान की गद्दी न हो.
नहीं चाहिए -ऐसी संतान,जो आचरणहीन हो .
नहीं चाहिए -ऐसा प्रवचन ,”जो थोथा चना ,बाजे घना” को चरितार्थ कर रहा हो.
नहीं चाहिए -ऐसा कर्मकांड ,जो जीवन को गहरा न बना सके.
नहीं चाहिए -ऐसा भगवान ,जो केवल पथ्थर में ही बसता हो.

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