Menu
blogid : 18093 postid : 747267

“रैगिंग”………………………….२.

SUBODHA
SUBODHA
  • 240 Posts
  • 617 Comments

हम तो नमस्कार ही करते,चाहे सुबह हो या शाम,चाहे दोस्ती हो या दुश्मनी. अतः कुछ manner का फंडा हमें भी समझ में आया…………………………क्रमशः
कुछ दिनों के बाद हमें बताया गया,हम सबको बाल,मशीन से कटवाने पड़ेंगे,जीरो साइज वाले. मुझे इसमें भी कुछ अजीब नहीं लगा.बाबा हमें बचपन से ही छोटे बाल रखने की सलाह देते थे.मैं पहले भी कई बार मशीन से जीरो कट करवा चुका था.हमने सहर्ष इस कार्य को भी अंजाम दे दिया .कुछ एक ने विरोध भी कर दिया.२-४ दिन के लिए घर चले गए. पर जब हमारे “२२ बैच” के सभी लड़के एक साथ खड़े होते ,तो ऐसा लगता इंजीनियरिंग छात्र नहीं,फ़ौज की कोई नयी बटालियन हो. खैर समय का चक्र घूमता रहा,२-४ माह बीत गए,सब शांति हो गयी.कई सीनियर्स और सुपर सीनियर्स की , बैच के दूसरे लड़कों से पहचान हो गयी. पर जब हमें लगता सब ठीक चल रहा,तभी कोई नया बखेड़ा खड़ा हो जाता.
साल के अंत में सेमेस्टर एग्जाम के बाद ,कॉलेज के सब लड़के सीनियर्स & जूनियर्स आपस में क्रिकेट मैच खेलते. प्रकृति में हर एक वस्तु में बहुत विविधता है,अब आम को ही ले लो,वैसे तो फलों का राजा है;पर यह राजा देश और दुनिया में ७५(कम ,ज्यादा भी हो सकते है भाई ) किस्मों और नामों वाला पाया जाता,कुछ नाम -दशहरी ,तोतापुरी,लंगड़ा आदि.वैसे ही इंसान की बहुत varieties हैं,दो जुड़वां भाइयों की प्रकृति और गुणों में भी बहुत अंतर होता है.एक बैच में ३२ लड़के,कुछ बहुत सीधे,कुछ बहुत टेड़े. मैच के दौरान कुछ बात हो गयी. ईगो(ego) हावी हो गया.हमारे बैच के एक लड़के से पूंछा गया,”कहाँ के हो” -वो तपाक से बोला ;जहाँ की फूलन देवी थी. मैनेजमेंट को पता भी नहीं चला-उसके ऊपर फिर से रैगिंग होने लगी,पूरे बैच के सभी लड़के कॉलेज से बापस आते वक्त पकडे जाने लगे.मेरी आदत थी,मैं शार्ट कट से जाता था,रोड से होकर कभी नहीं.इसलिए किसी के हाथ नहीं लगा.हॉस्टल में तो सुरक्षा रहती ही थी,सीनियर्स का हॉस्टल में प्रवेश वर्जित था.पर उस समय २-३ सीनियर्स हॉस्टल में भी आये,उस लड़के को खोजने, वह लड़का इधर -उधर हो जाता था. एक दिन उसे बाहर पकड़ा सीनियर्स ने,हॉस्टल के ही सामने एक सीनियर रूम ले कर रहता था ,उसके रूम पर उसे ले गए.उसे परेशान किया.वह भी बहुत झल्लाया हुआ था.उधर क्रिकेट मैच चालू था.धीरे -धीरे यह बात चारो तरफ फ़ैली. एक रविवार को सुबह -सुबह एक भला सीनियर जो बाहर जॉब करता था,हॉस्टल आया, पूरे घटना क्रम की जानकारी ली,सारे बैच के लड़कों को नीचे हॉल में बुलाया और उसने सोचा ,जिन सीनियर लड़कों ने रैगिंग ले ,उन्हें भी बुलाकर ,आपस में दोस्ती करवा देते हैं.वह सीनियर भी आ गया. सुबह का ६-७ बजे का वक्त रहा होगा,सारे लड़के उठकर सोते -जागते से हॉल में इकठ्ठे हो गए.हॉल के एक कोने पर सुपर सीनियर(बाहर जॉब करने वाला ),उसके पास रैगिंग करने वाला सीनियर ,उससे लगभग २०-२५ फ़ीट की दूरी पर हॉल के दूसरे कोने में वह लड़का जिसकी रैगिंग हुयी. फूलन देवी के सिद्धांतों पर गर्व करने वाले हमारे साथी(जिसकी हाइट भी ६-६,१/२ फ़ीट होगी ) ने,अपनी ११ नंबर की चप्पल उतारी और दौड़कर उसके पास जाकर लगभग ५० चप्पल २-३ मिनट में मारी होगी. पूरे हॉल में चप्पलों की आवाज़ के बाद सन्नाटा पसर गया. मेरा बैचमेट बोला,उस दिन मैं चाकू लेकर घूम रहा था,यदि तू मिल जाता तो काट डालता तुझे.
सुपर सीनियर ने सीनियर से कहा -देखा भाई,यदि किसी को भी ज्यादा दबाओगे ,तो वह pressurized होकर बापस अपने ऊपर ही बाउंस करता है. मेरा बैचमेट १५ दिनके लिए घर चला गया उसी दिन ,स्टेशन तक उसको १-२ लोग छोड़ने भी गए थे.
अतः सब प्यार से रहो प्यारे;सीनियर ,जूनियर कुछ नहीं है ,ये सब मन का वहम है.इज़्ज़त किसी से जबरदस्ती करवाई नहीं जा सकती,आप के कर्मों के अनुसार समाज आप को अच्छे -बुरे का सर्टिफिकेट देता है.
“सभी पढ़ें ,सभी बढ़ें”.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh