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“रैगिंग”………………………….१.

SUBODHA
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यह भी “दहेज़” और “नेता” जैसा बहुत जटिल शब्द है. न जाने कितनी जानें इस त्रिअक्षरीय शब्द ने ले लीं. इस शब्द को “थ्री इडियट” नाम की आमिर खान की मूवी में भी दिखाया गया है. आओ इस शब्द का संधि -विच्छेद करें-ragging=ragg+ing. ragg का शाब्दिक अर्थ -पुराना कपडा,जो घरेलू उपकरण,गाड़ी वगैरह की धूल झाड़ने के काम आता है. अतः मेरे हिसाब से रैगिंग का शाब्दिक अर्थ हुआ -धूल झाड़ना. अब यदि कोई इंसान अपने बड़े बेटे से कहे,बेटा घर के उपकरणों को थोड़ा झाड़-पोंछ कर सही से व्यवस्थित कर दो,तो इसका अर्थ यह तो नहीं हुआ,यदि घर में कांच के उपकरण है तो टूट ही जाये,रैगिंग के दौरान.
मुझे भी एक इन्जीनीरिंग कॉलेज में पढ़ने का और रैगिंग को करीब से देखने -सुनने का मौका मिला.अपने अनुभव आप को बताता हूँ,हो सकता है आप के भी कुछ काम आयें.
अवस्थी हॉस्टल ,विजयनगर ,लालघाटी ,भोपाल -यह हमारे प्रथम वर्ष का हॉस्टल था.पहली साल सब को हॉस्टल में रहना अनिवार्य था,ताकि रैगिंग आदि से कोई अनहोनी न हो.हमारे बैच में लगभग ३२-३३ स्टूडेंट्स थे,जिनमे ५ लड़कियां थी. लड़कियों का हॉस्टल अलग था,कॉलेज के डायरेक्टर के घर के पास,क्यूंकि उन्हें लड़कों से भी ज्यादा ,सेफ्टी की आवश्यकता है. मैं सत्र प्रारम्भ होने के २-३ दिवस पूर्व ही पहुँच गया था ,अपने पी.ऐ.सी.वाले मामा (दादा मामा ) जी के साथ (उनकी छुट्टी के अनुसार ,मुझे पहले जाना पड़ा). मेरी दिनचर्या थोड़ी अलग थी,सुबह ५-६ बजे तक उठ जाना,बाहर से कुछ लाना हो तो ,ले आना,नहीं तो रूम में पड़े -पड़े कुछ पढ़ते रहना. अतः मुझे मेरे सीनियर्स ज्यादा पहचानते ही नहीं थे. मेरे साथी बाहर जाते थे,किसी सीनियर्स से मिलते ,बापस आकर उनके किस्से सुनाते.मैं ज्यादा सीरियस ही नहीं लेता, उनकी बातों को. शुरू के १ माह तो हमें हॉस्टल से कॉलेज जाने तक -सभी को एक साथ आना- जाना होता था,साथ में एक सिक्योरिटी पर्सनल भी जाता था,कहीं रस्ते में कोई सीनियर न मिल जाये. पर “बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी”,१ माह बाद तो सीनियर्स से मिलना ही था,आखिर वो भी सीनियर हैं,कोई आतंकवादी तो है नहीं. हो सकता उनमे से कोई अपने गृह जनपद का या प्रदेश का ही हो.
हमें,कॉलेज में ही हमारे सीनियर्स से introduce किया गया.कुछ अच्छी बातें भी बताई गयीं- हम जैसे कई गांव के लड़के रहते -उन्हें क्या मालूम .गुड मॉर्निंग कभी होगा ,और गुड इवनिंग कभी होगा.हम तो नमस्कार ही करते,चाहे सुबह हो या शाम,चाहे दोस्ती हो या दुश्मनी. अतः कुछ manner का फंडा हमें भी समझ में आया.
शेष ……………………………………………अगले खंड में.

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