Menu
blogid : 18093 postid : 745061

बाबा जी के दृष्टान्त ……….द्वितीय

SUBODHA
SUBODHA
  • 240 Posts
  • 617 Comments

बाबा जी ने अपने विगत जीवन में लगभग १०० व्यक्तियों के विवाह में मध्यस्थता की होगी,ऐसा उन्होंने बताया.और कहा जितनी भी शादियां करवाई, सब सुखी हैं. कहते मैं -लड़के और लड़की वाले को आमने -सामने बिठा कर दोनों के बारे में एक -दूसरे को सब स्पष्ट बता देता,बाद में सब कुछ आराम से निपट जाता. अनेक शादियों में बहुत ववाल हो जाते,पर मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होता.
एक बार उन्होंने एक विवाह के ऊपर दृष्टांत सुनाया ——-
विवाह के कार्क्रम में हिन्दू रीति -रिवाज़ के अनुसार वर-कन्या के ३६ गुण मिलाये जाते हैं,कहते १८ भी मिल जाएँ तो अच्छा. एक जोड़े के ३४ गुण आपस में मिले.विवाह उपरांत कन्या अपने ससुराल पहुँची तो पतिदेव से पूछा- वह दो गुण कौन से आप में अलग हैं ,जो हमसे नहीं मिलते. लड़का बोला ,प्रथम- न तो मैं कुछ जानता हूँ ,और द्वितीय -न ही किसी की मानता हूँ.
लड़की ने लम्बी सांस लेकर, अपने मस्तक पर हाथ फिराया और कहा –
“धन्य भाग्य हमारे ,जो आप मेरे जीवन में पधारे” .
इसलिए यदि कुछ नहीं आता है ,तो किसी बड़े -बुजुर्ग की बात मानने से भी बेडा पार हो जायेगा,अतः आज्ञाकारी बनना आवश्यक है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh