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“खर्च और फिजूलखर्च”

SUBODHA
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अच्छे -अच्छे मैनेजमेंट गुरु, गरीबी और उसके कारणों पर रिसर्च कर रहे हैं.गरीबी कैसे दूर होगी,इसके लिए कौन जिम्मेदार है,क्या गरीबी केवल मन का भ्रम है आदि -आदि.
हमने भी समाज के बीच रहकर कुछ देखा ,सुना ,अनुभव किया.देश और विदेश के नामी मैनेजमेंट कॉलेजेस में पढ़ने का सौभाग्य तो मुझे मिल नहीं पाया,फिर भी कुछ अपने अनुभव आप से शेयर करता हूँ –
१.”आधा खाओ,आधा फैलाओ” का सिद्धांत सही नहीं है.जितनी जरूरत है ,उतना सही से खाओ;ज्यादा हो तो जरूरतमंदो को बाँट दो,यह कांसेप्ट अधिक लाभकारी है.
२.मैंने देखा लोग सुबह उठकर टूथपेस्ट करते वक्त पानी का नल उतनी देर तक खोलकर ही रखते हैं ,जब तक दंतधावन का कार्यक्रम पूर्ण विराम पर नहीं पहुँचता. मुझे लगता यह मानवीय मष्तिष्क की मूर्खता है.पानी न हमारा है ,न तुम्हारा है ,न सरकार का है.यह पंचतत्वों में से एक प्रधान तत्व है ,जिसके विन जीवन असंभव है.
३. जिनके घरों में बाइक होती हैं, वो १००-२०० मीटर भी,या विना किसी काम के भी इधर -उधर घूमते रहते हैं. पेट्रोल -डीज़ल की कीमत बढ़ने में कहीं न कहीं हम सब योगदान करते हैं ,बाद में सरकार को कोसते हैं.गॉव में एक पुरानी कहावत है -“घर घोड़ी तो पाँयन काहे जाँय”.जिसके घर में घोड़ी हो ,वो दीर्घशंका के लिए भी घोड़ी पर चढ़कर जाता हो,तो यह उसकी मूर्खता नहीं तो और क्या.
४.हमारे पिता जी घर अवकाश लेकर आते,तब कुछ न कुछ नया मुझे जरूर बताते.एक बार बताया.जीवन में तीन तरीके की जरूरतें होती हैं -१.आवश्यकता ,२.आवश्यक आवश्यकता ,३.अतिआवश्यक आवश्यकता. समय के अनुसार इन तीनो के बारे में सोचकर पैसे को खर्च करना चाहिए.
५. हमारी दादी कहती हर वस्तु को सही से खर्च करो,जिसकी फ़िज़ूलखर्ची करोगे, उसी की कभी न कभी जीवन में कमी पड़ जाएगी.
६. हमारे भोपाल के कॉलेज में एक एयरफोर्स से रिटायर्ड बुजुर्ग इंस्ट्रक्टर थे श्री जी.आर. चौधरी (राजस्थान के रहने वाले ),उन्हें पढ़ाने का बहुत अच्छा अनुभव था,किसी भी सब्जेक्ट के किसी भी टॉपिक को अच्छे से क्लियर कर देते थे. वह कहते थे -“if you will pass the time ,time will pass you “.
७. मैंने एक कंपनी के डायरेक्टर को नोकिआ -११०० मोबाइल का उपयोग करते देखा,और लगभग उसी कालाबधि में एक बेरोजगार युवक को -५०००० रुपये का मोबाइल उपयोग करते पाया.
यह कुछ जीवन के अनुभव थे, वैसे तो सब समझदार ही हैं. अच्छे दिन तभी आएंगे,जब सब अच्छा कार्य करेंगे.

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