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“चरित्रहीनता”

SUBODHA
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पिछले कुछ दिनों से मेरे मन में ख्याल आ रहा -मैं “चरित्र” के ऊपर लिखूं .पर न जाने क्यों मैंने अपने ब्लॉग का शीर्षक “चरित्र हीनता” दे दिया.मेरे बाबा जी बचपन में घर में कुछ इंग्लिश डायलॉग भी बोलते थे ,उदाहरण के तौर पर-if money is lost,nothing is lost;if health is lost ,something is lost;but if character is lost ,everything is lost. money is nothing,character is everything. हमारे बेसिक,हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की संस्कृत पुस्तक में प्रथम पृष्ठ पर -प्रार्थना या नीति वचन हुआ करते थे,जब डैडी जी घर पर अवकाश लेकर आते तब वो पेज अवश्य पढवाते और वो भी अर्थसहित.यदि थोड़ी सी भी गलती हो गयी,तो दस बार पढ़ने को बोलते.एक श्लोक था ७ या ८ की पुस्तक में -वृतिम यत्नेन रक्षेद ,वित्तमम् याति ययाति च .
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो ,वृत्तम् तस्तु हतो हतः .इसमें मैं वृत्ति और वित्त में बहुत कंफ्यूज रहता था.मैं कितना भी पहले से सही से पढ़कर रखूँ ,डैडी जी के सामने सकपका जाता था.लेकिन जब से मैं घर से बाहर निकला ,यह श्लोक बहुत समझ कर चल रहा हूँ. आचार -विचार,मर्यादा का पालन करना केवल नारियों की ही जिम्मेदारी नहीं है,पुरुष वर्ग उससे कहीं अधिक जिम्मेदार है ,अपने कुकृत्यों के लिए. लड़का सैर -सपाटे करे और लड़की घर में बंद रहे,इसी कांसेप्ट के चलते कुछ लड़कियों को घर से भागना पड़ता है. या फिर आप पैसे के मद में इतने मदमस्त हो गए,कि आप को पता ही नहीं चला कब क्या हो गया और समय आने पर आप बाप बन गए ,इतना ही नहीं आप ने अपने लड़के की पहचान और उसको स्वीकार तब किया जब अनेक न्यायाधीशों के सामने प्रमाण प्रस्तुत किये गए.अंत में मरता क्या न करता,मुख में गंगाजल डालने के लिए और अंत में मुखाग्नि देने के लिए भरी सभा में आप ने अपनी वीरता परिचय दे ही दिया.जय हो ऐसे वीरों की,भारत के इतिहास में आप की भी गौरव गाथा लिखी जाएगी ,हो सकता है-I.A.S ,I.P.S. ,I.F.S. एग्जाम में आप के इन वीर कर्मों के बारे में देश के भावी होनहार नौजवानो को उत्तर देना पड़े.ऐसे अनेक वीर इस देश में है ,जो हम जैसे मूर्खो और कायरों का भविष्य निश्चित कर रहे हैं,हमारी गरीबी का ग्राफ फिक्स कर रहें हैं .हमारी योग्यता का आंकलन कर रहे है.हमें कितने रुपये में पेट भरकर भोजन मिलेगा,इसका ज्ञान दे रहे हैं.हमने साल भर में अपनी मेहनत से जो कमाया ,उस एक-एक पाई का हमसे लेखा-जोखा मांग रहे है,और उसमे से काट रहे हैं देश के विकास के नाम पर इतनी रकम,जिससे एक गरीब साल भर अपने घर का खर्च चला सकता है. धन्य है ऐसा देश.
हे प्रभु ! अब केवल आप का ही भरोसा है ,आप ही तारनहार हैं. पधारो म्हारे देश………….

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