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नशा – इस शब्द के पूर्व मैं कौन सा विशेषण लगाऊँ,समझ में नहीं आ रहा.अपने जीवनकाल में मैं भी इससे अछूता नहीं रह सका. अपनी विवेचना के आधार पर मैं नशा के मुख्यतः दो प्रकार बताना चाहता हूँ -१.अच्छा और २.बुरा.
अब अच्छे नशे की बात करते हैं -जैसे पढ़ने का नशा(विद्या धनम सर्वधनम् प्रधानम),इधर -उधर घूमने का नशा (अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा),कुछ अच्छा खोजने का नशा.
दूसरे प्रकार की तो कोई लिमिट ही नहीं है,जितना भी लिखूं उतना कम है ,कुछ लोगो को तो ऐसी लत लग जाती, कि फिर चाहकर भी नहीं छोड़ पाते. और कुछ नशा करना ही अपने जीवन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि समझते हैं,वो अपने नशे के favour में अनेकों कुतर्क दे सकते हैं.
जवानी के जोश में इंसान कुछ न कुछ नशा करना अवश्य सीखता है.
मेरे बाबा जी एक अपने जीवन की घटना बताया करते थे -वो जब ४-५ वर्ष के रहे होंगे ,तब उनकी अनपढ़ माँ ने एक कोई फटी -पुरानी किताब सामने रख दी और बोली -पढ़ो इसको,बाबा जी कहते मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया ,मैं उसमे क्या पढूं .मेरी माँ ने गुस्से में आकर मुझे उछाल कर दूर फ़ेंक दिया.उस दिन से मुझे पढ़ने की लत लग गयी.सुबह से शाम तक कुछ न कुछ पढ़ना उनके जीवन का आवश्यक कर्म बन गया.अभी भी वो प्रतिदिन कुछ न कुछ पढ़ते अवश्य हैं.he became addicted to books.
लेकिन अफसोश इस बात का है ,आजकल का युवा -पढ़ने के नशे में नहीं ,वरन लड़ने के नशे में घूम रहा है. कुछ तो बेरोजगारी की समस्या है और कुछ हमने खुद बना रखी है.हमारे पास पेट भरने को पैसे नहीं,परन्तु दिन भर में कम से कम १० गुटखा खाने और १० सिगरेट पीने के पैसे हैं.
बुरे नशे हमें अपने साथियों से ही मिलते हैं,पहले वो सिखाएंगे,कुछ दिन बाद कहेंगे यार तुम भी कुछ खिलाओ -पिलाओ. मेरी १२ की गद्य पुस्तक में एक रामचन्द्र शुक्ल जी का लेख था -उसमे उन्होंने लिखा “कुसंग का ज्वर बहुत भयानक होता है “. और भी बहुत सी बातें लिखी पर उतना तो अभी याद नहीं आ रहा .
मुझे भी किशोर अवस्था में मेरे गॉव के साथी गुटखा खिला देते थे ,पर जैसे ही मैं घर पर आता था,मेरे मुँह की स्मेल से मेरी दादी या माँ जी मुझे पकड़ लेती थी,मुझे वो बुरी लत नहीं लगने पाई.
आजकल जब गुटखा और सिगरेट से इस देश का युवा कर्क रोग से ग्रस्त होकर मर रहा हो -तब सरकार की जिम्मेदारी केवल यही नहीं बनती, कि गुटखा और सिगरेट के पैकेट्स पर मुँह और फेफड़े का छोटा चित्र बनाकर वैधानिक चेताबनी -“तम्बाकू से कैंसर होता है” लिखा जाये ,अपितु गुटखा,शराब और सिगरेट की फैक्ट्रीज तुरंत बंद की जाएँ और बेरोजगार यूवाओं को अच्छे रोजगार के अवसर प्रदान किये जाये.हमें पुनः गौ चारण और दुग्ध उत्पादन की ओर लौटना चाहिए,न कि अफीम ,गांजा ,भांग ,धतूरा आदि -आदि के द्वारा अपना जीवन बर्बाद करना चाहिए .
विश्व का कल्याण हो,इसी मंगल कामना के साथ ———— आप सब का -pkdubey
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