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कल सुबह मैं मुम्बई की लोकल ट्रैन से कुर्ला स्टेशन पर उतरकर बेस्ट (यह वो बेस्ट नहीं जिसका हिंदी अर्थ सबसे अच्छा होता है ,यह B.E.S.T.–बृहन्मुम्बई इलेक्ट्रिक सप्लाई & ट्रांसपोर्ट है-मै यहाँ यह भी कहना चाहूंगा ,देश के दूसरों शहरों की अपेक्षा मुम्बई की बस सेवा अच्छी है ,और उससे भी अच्छा है लोगों का अनुशासन जनता आराम से क्यू में खड़ी होती है ,अपने टर्न का इंतज़ार करती है ,और अपना नंबर आने पर बस पर चढ़ती है.) के बस स्टॉप पर पहुँचा, तो वहाँ कोई बस ही नज़र नहीं आयी .मुझे व मेरे जैसे कुछ अन्य लोगों को लगा शायद बस फेरी लगा के आ रही होगी ,ऐसा सोचकर अपने उपयोग में आने वाली बस नंबर (मुम्बई में अलग-अलग रूट का एक अलग नंबर है,उस रूट पर चलने वाली बस को वो नंबर डिस्प्ले करना होता है -जैसे ३१३-कुर्ला से सांताक्रुज़ एंड बैक.३१०-कुर्ला से बांद्रा टर्मिनस & बैक .३३२ -कुर्ला से आगरकर चौक (अँधेरी स्टेशन ) & बैक , आदि- आदि ,अतः बस यात्रा करने से पूर्व सुनिश्चित कर लें कि आप का बस नंबर क्या है ,तो शायद इधर -उधर भटकेंगे नहीं-” सम्यक ज्ञान, भटकाव का अंत करता है” ) के स्टैंड पर जा के खड़ा हुआ .आसपास की स्थिति को भाँपने पर ज्ञात हुआ,बिना किसी पूर्व ज्ञापन के आज बेस्ट बस की हड़ताल है.
अब हमें ऑटो लेना था और ड्यूटी जाना था ,पहले तो २-४ ऑटो वालों ने नियत स्थान पर जाने से मना कर दिया-शायद उनका भी एक कांसेप्ट है – जैसे कि कितनी दूरी की सवारी बिठाना है ,कैसी सवारी बिठाना है आदि -आदि .पर अंततः एक ऑटो तैयार हुआ ,मैं और मेरा एक, पहले की कंपनी में काम करने वाला, साथी ऑटो से ऑफिस पहुँचे(किराया -५० रुपये मात्र, जो बस से आने पर -१० रुपये ही होता ).
हम लोग ऐसा सोचते हैं-कि पैसा हमारा है ,उसका है ;पर मेरा मानना है पैसा , पैसा है ;जैसे भगवान,भगवान् है .वो सबका है किसी एक का नहीं.इस देश के नेता भी ऐसा ही सोचें ,तो विगत दसक में शायद इतना भ्रष्टाचार या इससे भी पूर्व कोई भ्रष्टाचार नहीं होता .हमारे नेताओं की और भी अन्य अनेक वर्ग के अनेक लोगों की यह इच्छा ,यह मनोकामना रहती है कि हम इतना कमा के जाएँ ,कि हमारी अगली कई पीढ़ियां आराम से जीवन जी सकें .काश , हम सोचें कि हम इतना अच्छा कर्म ,इतना अच्छा व्योवहार समाज के साथ कर के जाएँ कि हमारी अगली कई पीढ़ियां हमारे सत्कर्मो की वजह से सम्मान और आजीविका पा सके .तो शायद आज यह देश पूर्ण विकसित होता . किसी को हड़ताल नहीं करनी पड़ती. न ही अन्ना हज़ारे को हंगर स्ट्राइक(भूँख हड़ताल ) ,और न ही बेस्ट बस की वर्क स्ट्राइक (काम से हड़ताल ). हड़ताल अभी चालू है ,कष्ट के लिए खेद ……………………………….
कल ,८ अप्रैल को मैंने एक बस कंडक्टर से पूछा ,हड़ताल क्यूँ थी .पैसे(किराया ) बढ़ाने के लिए ;बोला- नहीं ,हम लोगों को १२-१३ घंटों की ड्यूटी करनी पड़ती है .१२-१३ घंटे बस में खड़े -खड़े घूमना कठिन काम है .
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